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    दिल्ली कैबिनेट में अदला-बदली, कैलाश गहलोत को महिला बाल विकास विभाग तो आतिशी को मिली न्याय विभाग की जिम्मेदारी

    By sanjeev GuptaEdited By: Sonu Suman
    Updated: Fri, 08 Dec 2023 08:19 PM (IST)

    दिल्ली की मंत्री आतिशी को कानून मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। इससे पहले यह जिम्मेदारी कैलाश गहलोत निभा रहे थे। सीएम अरविंद केजरीवाल के इस प्रस्ताव को एलजी वीके सक्सेना ने मुहर लगा दी है। बता दें दिल्ली में न्यायिक ढांचे और प्रशासन से जुड़े कई विकास कार्यों के लंबित होने को लेकर केजरीवाल सरकार ने यह फैसला लिया गया है।

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    दिल्ली की मंत्री आतिशी को सौंपी गई कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में केजरीवाल सरकार की कैबिनेट में फेरबदल हुआ है। दिल्ली की मंत्री आतिशी को कानून मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। वहीं कैलाश गहलोत को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। सीएम अरविंद केजरीवाल के इस प्रस्ताव पर एलजी वीके सक्सेना ने मुहर लगा दी है।

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    इससे पहले न्याय विभाग की जिम्मेदारी कैलाश गहलोत निभा रहे थे। वहीं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का जिम्मा आतिशी के पास था। इस तरह दोनों के विभागों की अदला-बदली की गई है।

    आतिशी के पास अब 14 विभागों का जिम्मा

    जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री कार्यालय ने एलजी कार्यालय को पत्र लिखकर विभागों की अदला- बदली की सिफारिश की थी, जिसे एलजी की मंजूरी भी मिल गई है। इस बदलाव के साथ आतिशी के पास मौजूद विभागों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है, जो केजरीवाल सरकार के मंत्रियों में सबसे ज्यादा है। इससे पहले अक्टूबर में उन्हें जल विभाग का प्रभार सौंपा गया था।

    जून में आतिशी को राजस्व, योजना और वित्त विभागों का प्रभार दिया गया। ये विभाग पहले गहलोत के पास थे। गहलोत के पास अब परिवहन, गृह, प्रशासनिक सुधार, महिला व बाल विकास और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग का प्रभार है। 

    एलजी ने मांगी थी लंबित फाइलें

    बता दें, दिल्ली में न्यायिक ढांचे और प्रशासन से जुड़े कई विकास कार्यों के लंबित होने को लेकर केजरीवाल सरकार ने यह फैसला लिया गया है। हाल ही में एलजी सक्सेना ने न्यायिक ढांचे और प्रशासन से जुड़ी सरकार के पास लंबित 6 महीने से लंबित फाइलों को तीन दिन के भीतर मांगा है। कहा जा रहा है कि इस कारण कैलाश गहलोत से यह जिम्मेदारी छीनी गई है। दूसरी तरफ इस फैसले को एलजी वीके सक्सेना की कानून मंत्री से नाराजगी के तौर पर भी देखा जा रहा है।

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