दिल्ली के स्कूलों में मैथ्स और साइंस से छात्रों का डर हुआ दूर, रेमेडियल कक्षाएं
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों में रेमेडियल कक्षाएं चल रही हैं जिसका उद्देश्य छात्रों की गणित और विज्ञान की बुनियादी समझ को मजबूत करना है। शिक्षक व्यक्तिगत रूप से छात्रों की शंकाओं का समाधान कर रहे हैं जिससे उन्हें विषयों में रुचि बढ़ रही है। इन कक्षाओं में विज्ञान के प्रयोगों के माध्यम से अवधारणाओं को समझाया जा रहा है।

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। सर, मुझे पालिनोमियल्स समझ नहीं आते थे...एक तरफ एक्स, वाई और जेड है। समीकरण के दोनों ओर एक्स है....जोड़-घटाना तक तो सही था लेकिन विभाजन और गुणा तो मेरे सिर के ऊपर से निकल जाता थे।
11वीं के विद्यार्थी जयप्रकाश ने कक्षा में मौजूद शिक्षक से ये शब्द कहें। तभी दूसरे ने कहा- सर ये साइन, टैन, कास, थीटा, एल्फा, बीटा ये सब इतने मुश्किल लगते थे कि इनकी वजह से गणित से डर लगने लगा था।
बगल की क्लास में चल रही विज्ञान की कक्षा से आवाज आई मैडम पानी के घनत्व का परीक्षण तो बड़ी आसानी से हो गया। मुझे लगा ये करना थोड़ा मुश्किल होगा।
(उपचारात्मक कक्षा में गणित की कक्षा में भाग लेते विद्यार्थी। फोटो- हरीश कुमार)
पंडारा रोड के स्कूल में चलीं रेमेडियल क्लासेज
ये नजारा था पंडारा रोड स्थित राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय का और दिल्ली की अधिकतर सरकारी स्कूलों में लग रही उपचारात्मक (रेमेडियल) कक्षाओं का यही हाल है।
शिक्षा निदेशालय की ओर से गर्मी की छुट्टियों में 13 से 31 मई 2025 तक के लिए छात्रों की शैक्षणिक कमजोरी को दूर करने के उद्देश्य से शुरू की गई इन रेमेडियल कक्षाओं में शिक्षक हर एक बच्चे पर विशेष ध्यान दे रहे हैं और उनकी विषय संबंधी शंकाओं का व्यक्तिगत रूप से समाधान कर रहे थे।
स्कूलों में नियमित रूप से नौवीं से लेकर 12वीं के विद्यार्थियों की कक्षाएं संचालित हो रही हैं। सुबह साढ़े सात से साढ़े दस बजे तक चलने वाली इन कक्षाओं को एक-एक घंटे के तीन सत्रों में बांटा गया है।
(राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय में उपचारात्मक कक्षा में विद्यार्थियों को विज्ञान पढ़ाती शिक्षिका। फोटो- हरीश कुमार)
मुख्य रूप से मैथ्स और साइंस पर है जोर
मुख्य रूप से मैथ्स और साइंस विषयों पर ध्यान दिया जा रहा है, जबकि छात्रों की आवश्यकता के अनुसार एक अतिरिक्त विषय भी पढ़ाया जा रहा है। स्कूलों में चल रही इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों की मूलभूत समझ को मजबूत करना है, जिससे उनका आगामी शैक्षणिक प्रदर्शन बेहतर हो सके।
स्कूल में 11वीं के बच्चों को गणित में आकार का पाठ पढ़ा रहे शिक्षक ने बताया कि ऐसे छात्र जिनकी पहले विषयों की नींव कमजोर थी, अब अधिक रुचि ले रहे हैं और प्रश्न पूछने में झिझक नहीं रहे।
11वीं के छात्र रौनक ने बताया कि पहले मुझे गणित के कुछ अध्याय समझ नहीं आते थे, लेकिन अब स्कूल के शिक्षक हर चीज को बार-बार समझा रहे हैं, मुझे अब गणित से डर नहीं लगता है।
केवल किताबों तक सीमित नहीं है क्लासेज
छात्रों ने बताया कि उनकी गर्मी की छुट्टी में चल रही ये कक्षाएं केवल किताबों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि विषय की गहराई और व्यावहारिकता समझाने में भी मदद कर रही हैं। उन्होंने बताया कि कक्षाओं में पाठ का दोहराव कराने के साथ-साथ छोटे-छोटे प्रयोगों के जरिए वैज्ञानिक सिद्धांतों को भी समझाया जा रहा है।
विज्ञान की शिक्षिका ने बताया कि इन कक्षाओं में हम केवल थ्योरी नहीं पढ़ा रहे, बल्कि बच्चों से पूछते हैं कि वे अपने आस-पास विज्ञान को कैसे देखते हैं।
बच्चों को छोटे प्रयोग जैसे कि पानी के घनत्व का परीक्षण, प्रकाश का परावर्तन या पौधों में प्रकाश संश्लेषण को कक्षा में ही प्रदर्शित कर समझाया जा रहा है।
क्या है रेमेडियल क्लास का उद्देश्य?
12वीं में भूगोल विषय पढ़ा रही शिक्षिका नूतन ने बताया कि रेमेडियल कक्षाओं का उद्देश्य छात्रों को दोबारा से बुनियादी स्तर पर मजबूत करना है। अब वे अधिक आत्मविश्वास से जवाब दे रहे हैं और पढ़ाई में रुचि भी बढ़ रही है।
रेमेडियल कक्षाओं में विज्ञान की कक्षाएं खासतौर पर इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि बोर्ड परीक्षाओं में यह विषय छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण रहता है।
यही वजह है कि शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे छात्रों की कमजोर अवधारणाओं की पहचान कर उनके अनुरूप पढ़ाई करवाएं। स्कूल में बच्चों की सुविधा के लिए पुस्तकालयों को भी खोला गया था, ताकि छात्र स्वाध्याय कर सकें और पुस्तकें ले सकें।
स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. रमेश चंद ने बताया कि रेमेडियल कक्षाओं में छात्रों का उत्साह और भागीदारी यह बताती है कि अगर सही तरीके से पढ़ाई कराई जाए, तो कठिन से कठिन विषय भी रोचक हो सकते हैं।
त्रिकोणमिति से बहुत डरता था, लेकिन जब सर ने हर स्टेप को विस्तार से समझाया और रेखाचित्र बनाकर दिखाया, तो सब आसान लगने लगा।- जयप्रकाश, छात्र, एसबीवी, पंडारा रोड
पहले मैं विज्ञान को रटने का विषय समझता था, लेकिन अब जब मैम हमें प्रयोग दिखाकर पढ़ाती हैं, तो वह याद भी रहता है और समझ भी आता है।- चंद्रमणि कुमार, छात्र, एसबीवी, पंडारा रोड
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