दिल्ली में 61 लाख से ज्यादा वाहनों का पंजीकरण रद, सुप्रीम कोर्ट से वाहन मालिकों को मिली राहत
दिल्ली में पुराने वाहनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राहत के संकेत दिए हैं। 2018 से 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया था जिससे कई वाहन मालिक परेशान थे। अब कोर्ट ने इन वाहनों को लेकर कुछ राहत देने की बात कही है। सरकार ने वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने का विकल्प दिया था।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। करोलबाग निवासी कारोबारी अशोक गुप्ता के पास आज कई महंगी कारें हैं, मगर 2008 में खरीदी गई मारुति 800 को वह आज तक नहीं भूल पाए हैं। उनका परिवार इस कार को लकी कार मानता था, उनकी मानें तो इस कार के आने के बाद ही उनके दिन बदले थे।
2023 में 15 साल पूरे होने पर जब परिवहन विभाग की टीम घर के बाहर खड़ी कर को उठा ले गई तो उनके परिवार के लोग फूट फूट कर रो पड़े थे। यह कहानी केवल अशोक गुप्ता की नहीं है दिल्ली में रह रहे ऐसे तमाम लोगों की है जो अपनी कार को लकी मानते थे और अच्छी कंडीशन में रख रहे थे।
मगर 2018 के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिस तरह से परिवहन विभाग ने दिल्ली में कार्रवाई की कई लोग इससे आहत हुए और ना चाहते हुए भी उन्हें अपने वाहन को स्क्रैप कराना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे तमाम लोगों को राहत देने के संकेत दे दिए हैं जो अपने वाहन को अच्छे हालात में रखते हैं।
बता दें कि वायु प्रदूषण के खिलाफ अभियान के तहत 2018 से 10 साल पुराने डीजल व 15 साल पुराने पेट्रोल के वाहनों का पंजीकरण रद करना शुरू हुआ था। अभी तक 61,14,728 वाहनों का पंजीकरण रद हो चुका है। इनमें सबसे अधिक 41 लाख दो पहिया व 20 लाख चार पहिया वाहन शामिल हैं।
2018 से अब तक 80 हजार वाहनों को स्क्रैप किया जा चुका है। इस साल ही जनवरी से जून तक 18000 वाहन जब्त कर स्क्रैप किए गए। अब दिल्ली की सड़कों पर 82 लाख वाहन ही चलने लायक हैं। पूर्व की आप ने उम्र पूरी कर चुके वाहन मालिकाें को तीन विकल्प दिए थे।
वाहन मालिक परिवहन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेकर अपने वाहन को अन्य राज्यों में पंजीकृत करा लें, इन वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलवा लें या फिर इन्हें स्क्रैप (समाप्त) करा लें। हालांकि पूर्व की आप सरकार वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलाने के विकल्प को पूरा नहीं कर सकी।
अपने जोखिम पर घर से निकालना होेगा अपना पुराना वाहन
परिवहन विशेषज्ञ व परिवहन विभाग के पूर्व उपायुक्त अनिल छिकारा कहते हैं कि कोई अपना पुराना वाहन चलाना चाहता है, तो उसे अपना पुराना वाहन अपने जोखिम पर घर से निकालना होगा।
वह कहते हैं कि जिन वाहनों का पंजीकरण रद कर दिया गया है, उन्हें चलने की अनुमति नहीं दी गई है, क्योंकि उनके पास वैध पंजीकरण, पीयूसी और बीमा नहीं है। केवल स्क्रैप की कार्रवाई रोक दी गई है।
अगर कोई पुराना वाहन चलाना चाहता है, तो यह उसके अपने जोखिम पर होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने इसके पंजीकरण की अवधि नहीं बढ़ाई है। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 192 अभी भी लागू है। अगले निर्देश का इंतज़ार करना पड़ेगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।