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    दिल्ली-NCR में अब रियल टाइम में होगी प्रदूषण की निगरानी, ​​कचरे से बिजली बनाने वाली कंपनी पर रहेगी नजर

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 07:20 PM (IST)

    दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में कचरे से बिजली बनाने वाले प्लांट्स पर अब प्रदूषण के छह मानकों की निगरानी होगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तीन महीने में रियल टाइम मॉनिटरिंग का फ्रेमवर्क तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इससे प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी का तुरंत पता चल सकेगा और उसे रोकने के उपाय किए जा सकेंगे।

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    बिजली बनाने वाले प्लांट्स पर अब प्रदूषण के छह मानकों की निगरानी होगी। फाइल फोटो

    संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। कचरे को जलाकर बिजली बनाने वाले वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स की अब प्रदूषण के छह मानकों पर निगरानी की जाएगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के प्लांट्स को तीन महीने के अंदर रियल टाइम मॉनिटरिंग का फ्रेमवर्क तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

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    रियल टाइम मॉनिटरिंग से प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी का तुरंत पता चल सकेगा और उसे रोकने के उपाय किए जा सकेंगे।

    गौरतलब है कि दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में ठोस कचरा निपटान एक बड़ी वजह बना हुआ है। इस कचरे को मुख्य रूप से गीले और सूखे कचरे में अलग किया जाता है। आमतौर पर गीले कचरे से खाद तैयार की जाती है। जबकि सूखे कचरे का एक बड़ा हिस्सा ऐसा होता है जिसे रिसाइकिल किया जा सकता है।

    इसके बावजूद, सूखे कचरे का एक हिस्सा ऐसा होता है जिसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता। ऐसे कचरे को विशेष तकनीक का इस्तेमाल करके वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स में जलाकर बिजली बनाई जाती है। लेकिन, जलने के दौरान निकलने वाली हानिकारक गैसों से प्रदूषण का खतरा भी बना रहता है।

    इसी खतरे को देखते हुए सीपीसीबी ने अब रियल टाइम में इसकी ऑनलाइन निगरानी की कवायद शुरू कर दी है।

    सीपीसीबी ने इसके लिए देशभर के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों को निर्देश जारी किए हैं। कहा गया है कि तीन महीने में यहाँ हर हाल में रियल टाइम ऑनलाइन निगरानी के उपाय सुनिश्चित किए जाएँ। निगरानी प्रणाली राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों के साथ-साथ सीपीसीबी के सर्वर से भी जुड़ी होगी। इससे प्रदूषण बढ़ते ही उसका पता लगाने में मदद मिलेगी।

    इन छह मानकों पर होगी निगरानी

    सीपीसीबी के अनुसार, इन संयंत्रों में प्रदूषण के छह मानकों पर निगरानी रखी जाएगी। इसमें पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड, हाइड्रोजन फ्लोराइड और कार्बन मोनोऑक्साइड शामिल हैं। अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र में लगा ओसीईएमएस (ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली) इन छह प्रदूषक कणों की निरंतर निगरानी करेगा।

    इसके अलावा, लैंडफिल साइट से निकलने वाले लीचेट की भी रियल टाइम में ऑनलाइन निगरानी की जाएगी। इसमें पीएच, टीएसएस, बीओडी, सीओडी, अमोनियम नाइट्रेट और फ्लोराइड के स्तर की निगरानी की जाएगी।

    निगरानी की आवश्यकता क्यों है?

    दरअसल, हमारे घरों से निकलने वाले कचरे का एक हिस्सा ऐसा होता है जिसे पुनर्चक्रित नहीं किया जा सकता। ऐसे गैर-पुनर्चक्रणीय कचरे, जिसका कैलोरी मान 1500 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम या उससे अधिक है, को लैंडफिल साइट पर भेजने के बजाय, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों में उससे ऊर्जा प्राप्ति का प्रावधान है।

    इस कचरे को संयंत्र में जलाकर बिजली पैदा की जाती है। लेकिन, ऐसा करते समय, तमाम तरह की हानिकारक गैसें और प्रदूषक कण भी निकलते हैं, जिन्हें रोकना ज़रूरी है। इसीलिए वास्तविक समय निगरानी की यह प्रणाली विकसित की जा रही है।

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