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पढ़िये- देश के किस शहर को पंडित बिरजू महाराज कहते हैं 'गजब, यहां से जाने का दिल नहीं करता'

RIP Pandit Birju Maharaj कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज जी का दिल्ली से दिली जुड़ाव था। उनके पिता और गुरु समेत चाचा भी दिल्ली से जुड़े थे। पंडितजी बताते थे कि दिल्ली से पुुराना रिश्ता है। पिता पंडित अच्छन महाराज जीने यहां रहकर कई लोगों को शास्त्रीय नृत्य-संगीत सिखाया था।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 09:39 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 08:10 AM (IST)
पढ़िये- देश के किस शहर को पंडित बिरजू महाराज कहते हैं 'गजब, यहां से जाने का दिल नहीं करता'
पढ़िये- देश के किस शहर को पंडित बिरजू महाराज कहते हैं 'गजब, यहां से जाने का दिल नहीं करता'

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। आगामी चार फरवरी को पंडित बिरजू महाराज का जन्मदिन था, लेकिन उससे पहले ही उन्होंने जिंदगी को अलविदा कह दिया। पद्म विभूषण, नृत्य शिरोमणि, संगीत नाटक अकादमी सरीखे अनगिनत सम्मानों से सम्मानित पंडित बिरजू महाराज ने रविवार रात आखिरी सांस ली। जिसने भी निधन की खबर सूनी, वो अवाक रह गया। आंखें डबडबा गईं और आवाज भर्रा गई। दिल्लीवालों को सहसा यकीन नहीं हुआ। महाराज जी का दिल्ली से दिली जुड़ाव था। उनके पिता और गुरु समेत चाचा भी दिल्ली से जुड़े थे।

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पंडित जी बताते थे कि दिल्ली से पुुराना रिश्ता है। पिता पंडित अच्छन महाराज जीने यहां रहकर कई लोगों को शास्त्रीय नृत्य-संगीत सिखाया था। चाचा शंभू महाराज भी दिल्ली आए थे। बिरजू महाराज की संस्था कलाश्रम के अनुसार आठ साल की उम्र में ही बिरजू महाराज अपने पिता के साथ दिल्ली आए थे। वो संगीत भारती संस्थान में तबला बजाने के साथ साथ नृत्य में प्रवीण हुए।

आजादी से पहले पूरे देश में साम्प्रदायिक दंगे होने लगे तो अच्छन महाराज परिवार के साथ दिल्ली सेे लखनऊ शिफ्ट हाे गए। बिरजू महाराज नौ साल केे थेे, जब पिता का निधन हो गया। बाद का समय बिरजू महाराज के लिए संघर्षों भरा था। घर का खर्च चलाने के लिए घरेलू सामान तक बेचना पड़ा। 13 साल की उम्र में पंडित बिरजू महाराज को संगीत भारती ने कथक सिखाने के लिए आमंत्रित किया। जिसके बाद बिरजू महाराज दिल्ली आ गए और यहां बच्चों को कथक सिखाने लगे। बाद में जब कथक केंद्र की स्थापना हुई तो वो इससे जुड़ गए। यहां लंबे समय तक बड़ी संख्या में शिष्यों को कथक सिखाया। वर्ष 1998 तक कथक केंद्र से जुड़े रहे। सेेवानिवृत्त होने के बाद गुलमाेहर पार्क में कलाश्रम की स्थापना की। बिरजू महाराज की पुत्री अनीता महाराज बताती हैं कि उन्होंने जिंदगी में बहुत संघर्ष किया, लेकिन कभी जताया नहीं। हर दुख को हंसते हंसते सह गए।

दिल्ली गजब का शहर

महाराज जी कहते थे कि दिल्ली गजब का शहर है। यहां से वापस जाने का मन नहीं करता। बकौल अनीता जी, महाराज जी को वाकिंग का बहुत शौक था। पहले वाकिंग करने लोदी गार्डन तक जाते थे। इंडिया गेट भी घूमने जाते थेे। मंडी हाउस पर काफी समय गुजरा, इसलिए मंडी हाउस उनके दिल के काफी नजदीक था। सरकार ने कला में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें शाहजहां रोड स्थित डी-2/33 आवास आवंटित किया था। जिसमें लंबे समय तक बिरजू महाराज जी परिवार के साथ रहे। यहां बिरजू महाराज से मिलने के लिए सत्यजीत रे, कमल हासन, यश चोपड़ा, अभिनेत्री माधुरी दीक्षित, निर्देशक संजय लीला भंसाली, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान समेत प्रसिद्ध शख्सियतें आई। साल 2020 में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने महाराज जी को आवास खाली करने का नोटिस भेजा तो वो परेशान हो गए। हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने नोटिस पर रोक लगा दी थी। आवास आने वाले मेहमानों का स्वागत महाराज जी मिठाई खिलाकर ही करते। वो कहते थे पहले मिठाई खाएंगे, फिर बात करेंगे।


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