Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Delhi Lockdown 2021 News: दिल्ली में लगे लॉकडाउन ने बढ़ाई लाखों कारोबारियों और कामगारों की चिंता

    By Jp YadavEdited By:
    Updated: Mon, 17 May 2021 12:00 PM (IST)

    Delhi Lockdown 2021 News लॉकडाउन लगा है तो कामगारों के सामने रोजगार के साथ भोजन का संकट भी है। पिछले वर्ष जब ऐसी स्थिति आई थी तब राज्य सरकार की ओर से इन कामगारों के लिए भोजन की व्यवस्था कराई गई थी लेकिन इस वर्ष ऐसा कुछ नहीं है।

    Hero Image
    Delhi Lockdown 2021 News: दिल्ली में लगे लॉकडाउन ने बढ़ाई लाखों कारोबारियों और कामगारों की चिंता

    नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। दिल्ली में लॉकडाउन बढ़ता जा रहा है। सरकार ने फिर इसे एक सप्ताह और खिसका दिया यानी 24 मई तक लॉकडाउन रहेगा। राजधानी दिल्ली में कोरोना की भयावह स्थिति और चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था को देख दिल पर पत्थर रख दुकानदार इसकी पैरोकारी करते आ रहे हैं। उनकी ओर से हर सप्ताह इसे बढ़ाने की अर्जी पहले से लग जाती है। लिहाजा, सरकार को इस मोर्चे पर सहूलियत है। इस तरह 27 दिन गुजर गए। अब एक सप्ताह और गुजारना है। ये हो गई कोरोना से उपजे हालात की बात। दुकान और कारोबार तो मझधार में ही हैं। संक्रमण के डर से दुकानदार घर में तो चूहे दुकान के भीतर हैं। वैसे चूहे हर जगह विराजमान होते हैं, पर बाजारों के चूहे थोड़े मोटे ताजे होते हैं। जब दुकान खोलते रहने की स्थिति में वे सामान कुतरने से बाज नहीं आते तो अब तो उनकी पूरी मौज होगी। यह चिंता दुकानदारों को घर बैठे खाए जा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस बार सरकार कम, बाजार सक्रिय

    चांदनी चौक इलाके में ही दो लाख से अधिक कारोबारी प्रतिष्ठान हैं। इसी तरह सदर बाजार व कश्मीरी गेट समेत अन्य बाजारों में भी कोई दो-ढाई लाख कारोबारी प्रतिष्ठान होंगे। अब इतने कारोबारी प्रतिष्ठान तो लाखों की संख्या में कामगार वर्ग भी है, जिनमें से अधिकतर दूसरे राज्यों से आए हुए हैं। लॉकडाउन लगा है तो उनके सामने रोजगार के साथ भोजन का संकट गहरा गया है। पिछले वर्ष जब इस तरह की स्थिति आई थी तब राज्य सरकार की ओर से इन कामगारों के लिए भोजन की व्यवस्था कराई गई थी, लेकिन इस वर्ष वैसी सक्रियता देखने को नहीं मिल रही है। तो मोर्चा व्यापारिक संगठनों ने थाम लिया है। व्यापारिक संगठन अपने स्तर पर कामगारों के लिए भोजन के पैकेट समेत अन्य इंतजाम कर रहे हैं। आखिरकार, रिश्ता मानवता के साथ आत्मीयता का है। वर्षो बाजार में संग रहते व्यापारी और कामगार के बीच रिश्ता चोली-दामन का है।

    आखिर मिल ही गया पूरा मौका...

    पिछले वर्ष जब देशव्यापी लॉकडाउन लगा तो निगमों के अप्रैल में होने वाले महापौर व उप महापौर के चुनाव जून तक टल गए। जून में लाकडाउन की शर्तो में ढील मिली तब जाकर ये चुनाव संपन्न हुए। हालांकि, कोरोना के उस भय वाले दौर में महापौर की ताजपोशी को कांटोभरा ताज भी कहा जा रहा था। खैर, समय बीता और सब कुछ समान्य होने लगा। इस वर्ष जब मार्च आया तो अंदरखाने वर्तमान तीनों महापौर ने इसकी मांग शुरू कर दी कि पिछले वर्ष उनका चुनाव देरी से हुआ था, इसलिए उन्हें भी इस वर्ष अतिरिक्त समय दिया जाए। कानून के मुताबिक तो यह संभव नहीं था, लेकिन इस वर्ष अप्रैल के अंतिम सप्ताह में सप्ताहभर का लाकडाउन लगा, जो लगातार बढ़ रहा है। इससे अब ऐसा लग रहा है कि महापौर की मांग जाने-अनजाने में पूरी हो ही गई, क्योंकि अब अगले माह ही चुनाव होते नजर आ रहे हैं।

    इंटरनेट मीडिया से उड़ी पार्षदों की नींद

    इंटरनेट मीडिया पर अक्सर अफवाहें इतनी तेजी से प्रसारित होती हैं कि लोग गलत जानकारियों से उनके प्रभाव में आ जाते हैं, लेकिन शनिवार को भाजपा के पार्षद भी इससे बच नहीं पाए। हुआ यूं कि शनिवार दोपहर को एक जानकारी इतनी तेजी से प्रसारित हुई कि पार्षदों की नींद उड़ गई। यह जानकारी प्रदेश भाजपा की ओर से महापौर पद के प्रत्याशियों का नाम तय करने को लेकर थी, जिसमें बताया गया कि पूर्वी निगम से प्रमोद गुप्ता तो उत्तरी से मनीष चौधरी और दक्षिणी दिल्ली से इंद्रजीत सहरावत के नाम कोमहापौर पद के लिए अंतिम रूप दे दिया गया है। इस जानकारी के प्रसारित होते ही इन पदों के लिए उम्मीदें पाले पार्षद खासे बेचैन हो गए। प्रदेश नेतृत्व से लेकर अन्य पार्षदों को फोन मिलाना शुरू कर दिया। जब प्रदेश की तरफ से इसका आंतरिक तौर पर खंडन किया गया तब जाकर भाजपा पार्षदों की जान में जान आई।