अगर इत्र के शौकीन हैं तो यहां आइए, गुलाब-मोगरे की खुशबू से प्रफुल्लित हो उठेगा मन
चार हजार से लेकर 28 हजार में प्राकृतिक फूलों से तैयार इत्र यहां आपकी जरूरत के मुताबिक 10 ग्राम से लेकर 10 किलोग्राम तक में उपलब्ध हो जाएंगे। यहां के इत्र की बस एक बूंद ही कई दिनों तक ताजगी का एहसास दिलाने के लिए काफी है।
नई [रितु राणा]। चांदनी चौक स्थिति दरीबा कलां सोने चांदी के जेवरों के लिए मशहूर है, लेकिन इसी रोड पर टाउन हाल के सामने से गुजरते हुए गुलाब, रजनीगंधा, हरसिंगार, केवड़ा, चंपा फूलों की ऐसी ताजी खुशबू आती है कि तन मन प्रफुल्लित हो उठता है। ऐसा लगता है कदम मानो फूलों के बागान की ओर बढ़ रहे हों। फूलों की ये सुगंध आपको सीधे दुकान नंबर 320 पर ले जाकर ठहराती है। यहां जाकर पता चलता है ये फूलों की दुकान नहीं, बल्कि 200 साल पुरानी गुलाब सिंह जौहरीमल के इत्र की दुकान है जो अपनी खुशबू से दिल्ली को महका रही है। यहां इत्र की एक से बढ़कर एक खुशबू आपको शीतलता से भर देगी।
हरियाणा से लाए फूलों की सौगात
दुकान के मालिक कुशल गंधी बताते हैं कि वर्ष 1817 में गुलाब सिंह और उनके बेटे जौहरीमल हरियाणा के झज्जर से दिल्ली आए थे। यहां उन्होंने गुलाब के फूल से इत्र बनाने का काम शुरू किया। उन्हीं दोनों के नाम पर इस दुकान का नाम है। अब इस दुकान को उनकी सातवीं और आठवीं पीढ़ी संभाल रही है। वह खुद आठवीं पीढ़ी से हैं। उनके साथ पिता अतुल गंधी, चाचा मुकुल गंधी व प्रफुल्ल गंधी मिलकर इस काम देखते हैं।
जहां का फूल वहीं बनाते हैं इत्र
कुशल कहते हैं उनके दादा-परदादा द्वारा तैयार इत्र के अंग्रेज भी दीवाने थे। ये दिल्ली ही नहीं, बल्कि जहां जहां फूलों की खेती होती है, वहां वहां जाकर इत्र तैयार करते हैं। केवड़ा के फूलों से इत्र तैयार करने ओडिशा जाते हैं वहीं गुलाब के लिए उत्तर प्रदेश के हाथरस जाते हैं। इसके अलावा ऊद की लकड़ी, खस, मोगरा, हरसिंगार, रजनीगंधा, कदंब, केवड़ा, मौलश्री, गार्डेनिया, गुलनार, नारंगी और चमेली आदि फूलों के लिए उप्र में ही अलग अलग जगहों पर जाते हैं।
चार हजार से लेकर 28 हजार में प्राकृतिक फूलों से तैयार इत्र यहां आपकी जरूरत के मुताबिक 10 ग्राम से लेकर 10 किलोग्राम तक में उपलब्ध हो जाएंगे। यहां के इत्र की बस एक बूंद ही कई दिनों तक ताजगी का एहसास दिलाने के लिए काफी है। गुलाब का इत्र यहां सबसे खास है। लोग इसे खूब पसंद करते हैं। इसलिए इसकी कीमत भी थोड़ी ज्यादा है। 10 ग्राम गुलाब इत्र के लिए 28 हजार रुपये देने होंगे।
इत्र बनाने के लिए यहां केवल लाल और गुलाबी रंग वाले देसी गुलाब का ही उपयोग किया जाता है। क्योंकि इसी में प्राकृति खुशबू मिलती है। कुशल कहते हैं गुलाब बहुत गुणकारी होता है, लेकिन केवल देसी गुलाब, इसलिए इत्र बनाने में उसी का उपयोग करते हैं। इस इत्र को लगाने के बाद शरीर में ठंडक का एहसास होता है।
गर्मी में लगाएं रूह-ए-खस
गर्मी से राहत दिलाने के लिए यहां रूह-ए-खस एक खास तरह का इत्र है। यह इत्र नदियों और तराई वाले क्षेत्रों में मिलने वाली जंगली घास से तैयार किया जाता है। इस इत्र का इस्तेमाल अरोमाथेरेपी में भी किया जाता है। खस की खुशबू से रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। तंत्रिका तंत्र भी मजबूत होता है। इसके अलावा चंदन, केवड़ा, बारिश की सोंधी मिट्टी की खुशबू, फूलों की खुशबू वाले इत्र भी हैं तो जिसे लगाने के बाद ठंडक का एहसास होगा। इसके अलावा मुखल्लत स्पेशल, खलीफा, फितरत, मंजर, दिलखुश, अंबर, सुल्तान आदि आकर्षक नाम और खास गुण वाले इत्र भी मिल जाएंगे।
ऐसे पहुंचे
चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन गेट नंबर एक से निकलकर पैदल चलते हुए मात्र पांच से 10 मिनट की दूरी पर टाउन हाल के ठीक सामने यह दुकान है।
खुलने का समय
सुबह 11 से शाम छह बजे तक कभी भी जा सकते हैं। रविवार को अवकाश
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