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पड़े-पड़े सड़ गए मजदूरों को दिए जाने वाले राशन, अब जांच के नाम पर हो रही हीलाहवाली, पढ़िए दिल्ली का कारनामा

दिल्ली में काम करने वाले दूसरे राज्यों के लोग कामकाज बंद होने व भूखे मरने की नौबत आने पर दिल्ली छोड़ने का फैसला किया इसी बात को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार की तरफ खासतौर पर यह अनाज उन लोगों में वितरित करने के लिए भेजा था।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 12:13 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 12:13 PM (IST)
पड़े-पड़े सड़ गए मजदूरों को दिए जाने वाले राशन, अब जांच के नाम पर हो रही हीलाहवाली, पढ़िए दिल्ली का कारनामा
दिल्ली के निवासी संबंधी किसी प्रमाण पत्र नहीं होने की वजह से खाद्य सामग्री नहीं मिल रही थी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वसंत कुंज स्थित निगम के स्कूल में जो अनाज सड़ते हुए पाया गया, असल में वह उन प्रवासियों का हक था, जिनके पास दिल्ली के निवासी होने का प्रमाण नहीं था। बीते वर्ष जब लाकडाउन लगा तो दिल्ली में काम करने वाले दूसरे राज्यों के लोग कामकाज बंद होने व भूखे मरने की नौबत आने पर दिल्ली छोड़ने का फैसला किया, लेकिन संक्रमण न फैले इसके लिए जो जहां था, उसका वहीं रहना जरूरी था और इसी बात को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार की तरफ खासतौर पर यह अनाज उन लोगों में वितरित करने के लिए भेजा था, जिन्हें दिल्ली का राशन कार्ड या दिल्ली के निवासी संबंधी किसी प्रमाण पत्र नहीं होने की वजह से खाद्य सामग्री नहीं मिल रही थी।

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इस मामले के जानकर लोगों ने बताया कि जुलाई-अगस्त में राशन खराब होना शुरू हो चुका था। स्कूल के प्राचार्य ने फूड इंस्पेक्टर, खाद्य आपूर्ति अधिकारी व महरौली के विधायक नरेश यादव को इसकी जानकारी दी थी। सब यही कहते रहे कि जल्द ही अनाज हटाया जाएगा, लेकिन मई तक पूरा अनाज सड़ गया। जांच के नाम पर हीलाहवालीबीते शुक्रवार को मामला सामने आया, तब से अभी तक यह भी तय नहीं हुआ कि जांच किसे करनी है? सोमवार को एक भाजपा नेता की तरफ पुलिस को शिकायत देने के बाद पुलिस ने जांच एसडीएम को सौंप दी थी। मंगलवार को एडीएम ने कहा जांच खाद्य आपूर्ति विभाग की तरफ से की जाएगी।

वहीं, फूड इंस्पेक्टर व खाद्य आपूर्ति अधिकारी का कहना है कि मामले की जांच मुख्यालय स्तर पर की जा रही है। जांच के नाम पर खानापूर्ति का आलम यह है कि मामले के सामने आने चार दिन बाद भी किसी भी विभाग का कोई भी अधिकारी स्कूल नहीं पहुंचा। कोई नहीं जानता कि राशन क्यों नहीं बंटापिछले वर्ष अप्रैल में आया यह अनाज जुलाई-अगस्त तक वितरित हो जाना चाहिए था, लेकिन यह क्यों नहीं बंट पाया, इसके बारे में किसी भी अधिकारी को कुछ पता नहीं है।

विधायक ने शुरू किया राजनीतिक राग

इस तरह के मामलों में अक्सर जो राजनीतिक छिछालेदर होती आई है उसकी भी शुरुआत हो चुकी है। मंगलवार को स्थानीय विधायक नरेश यादव ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से ही खराब अनाज भेजा गया था। जबकि, वे खुद ही यह भी बताते हैं कि एक-दो दिन तक राशन का वितरण किया गया था। उनका दावा है कि लोगों ने राशन खराब होने की शिकायत की थी, जिसके बाद वितरण बंद कर दिया गया। हालांकि, वे इस सवाल का कोई जवाब नहीं दे पाए कि जब राशन खराब था, तो उसी समय इसकी शिकायत क्यों नहीं की गई? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसी के साथ संवाद करने का काम उनका नहीं है। वहीं, विधानसभा क्षेत्र की सतर्कता समिति के सदस्यों पास सवाल सुनने का भी वक्त नहीं था और उन्होंने बुधवार को बात करने की बात कहकर फोन काट दिया।

यह है मामला

पिछले वर्ष केंद्र की तरफ गरीबों में बांटने के लिए दिल्ली सरकार को करीब पौने सात सौ टन अनाज दिया गया था, जिसे मसूदपुर गांव स्थित निगम के स्कूल में वितरण के लिए रखा गया था, लेकिन वहीं पड़ा-पडा सड़ गया। दुर्गध आने पर जब स्थानीय निगम पार्षद मनोज महलावत ने बीते शुक्रवार को स्कूल का हाल खुलवाकर देखा तो अनाज सड़ने का मामला सामने आया। इसके बाद सोमवार को भाजपा नेता रूबी यादव ने इस संबंध में वसंत कुंज साउथ थाने में दिल्ली सरकार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

सांसद का बयान

दिल्ली सरकार इस मामले की जांच कराने बच रही है, जिससे साफ जाहिर होता है पूरी गड़बड़ी सरकार के स्तर पर ही हुई है। अगर दिल्ली सरकार इस मामले की जांच नहीं करवाती है तो हम इसकी सीबीआइ जांच कराने की मांग को लेकर केंद्र सरकार व दिल्ली के उपराज्यपाल तक जाएंगे। - रमेश बिधूड़ी, सांसद, दक्षिणी दिल्ली


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