Delhi Bird Census: दिल्ली में पहली बार दिखीं पक्षियों की 21 दुर्लभ प्रजातियां, 160 से अधिक कीं दर्ज
Delhi World Atlas के अनुसार दिल्ली में 160 पक्षी प्रजातियां पाई गई हैं जिनमें से 21 पहली बार देखी गईं जिनमें ग्रेटर फ्लेमिंगो और इंडियन पिट्टा शामिल हैं। वाइल्ड लाइफ एसओएस और दिल्ली वन विभाग के सहयोग से यह परियोजना चलाई जा रही है। इसके तहत 145 ऑब्जर्वेशन जोन बनाए गए हैं ताकि पक्षियों के वितरण पैटर्न को समझा जा सके। मई 2025 तक 500 पक्षियों को बचाया गया।

पीटीआई, नई दिल्ली: Delhi World Atlas के तहत राजधानी दिल्ली में 160 पक्षियों की प्रजातियां दर्ज की गई। खास बात ये है कि इनमें से 21 पक्षियों की प्रजाति पहली बार देखी गई है।
इनमें गुलाबी व सफेद पंखों वाला Greater Flamingo और Indian pitta भी शामिल हैं, जिन्हें इनकी अनोखी आवाज के लिए जाना जाता है।
राजधानी दिल्ली में देखी गईं इन 160 से अधिक पक्षियों की प्रजाति में लुप्तप्राय और प्रवासी प्रजातियां भी शामिल हैं। इस एटलस का समर फेज वाइल्ड लाइफ एसओएस और दिल्ली वन एवं वन्यजीव विभाग के सहयोग से चलाया जा रहा है।
पहली बार देखी गईं 21 प्रजातियां की गई रिपोर्ट
जिन्होंने पहली बार देखी गईं 21 प्रजातियों की रिपोर्ट दी और E-Bird प्लेटफॉर्म पर 600 से अधिक चेकलिस्ट अपलोड की गईं। ये आंकड़ा सर्दियों की तुलना में अधिक है।
ग्रेटर फ्लेमिंगो (फिनिकोप्टरस रोजियस), ब्लैक बिटर्न (इक्सोब्रायचस फ्लाविकोलिस), बोनेलीज ईगल (एक्विला फासियाटा) और इंडियन पिट्टा (पिट्टा ब्रैक्यूरा) पहली बार देखी गईं प्रजातियों में शामिल हैं।
ये प्रजातियां दिल्ली में अपनी प्रवासी प्रकृति या क्षेत्र में दुर्लभता के कारण खास हैं। इनकी मौजूदगीजैव विविधता ट्रैकिंग और संरक्षण के लिए उत्साहजनक संकेत हैं।
दिल्ली को 145 ऑब्जर्वेशन जोन में बांटा गया
अधिकारियों ने बताया कि इस परियोजना के तहत दिल्ली को 145 ऑब्जर्वेशन जोन में बांटा गया है। जिसका उद्देश्य मौसम के अनुसार पक्षियों के वितरण पैटर्न की दीर्घकालिक समझ बनाना है।
इस डॉक्यूमेंटेशन ड्राइव के साथ-साथ, वाइल्ड लाइफ एसओएस ने भीषण गर्मी में पक्षियों के बचाव का प्रयास तेज कर दिया है।
मई 2025 तक 500 पक्षियों को बचाया गया
मई 2025 तक लगभग 500 पक्षियों को बचाया जा चुका है। इनमें शिकारी पक्षी और प्रवासी प्रजातियां शामिल हैं, जो अत्यधिक गर्मी, बिजली के झटकों आदि से प्रभावित हुई।
मुख्य वन्यजीव वार्डन श्याम सुंदर कंडपाल ने कहा कि दिल्ली बर्ड एटलस सिर्फ एक वैज्ञानिक पहल नहीं बल्कि community-powered effort है, जिससे लोग प्रकृति से फिर जुड़ सकें और राजधानी के लिए डेटा-आधारित संरक्षण रणनीति बन सके।
उन्होंने कहा कि ये पहल नागरिकों की भूमिका को सामने लेकर आई है। जब पक्षी घायल या संकट में होते हैं तो वे रिपोर्ट है। इसके चलते ही पक्षियों बचाव होता हैं।
वाइल्ड लाइफ एसओएस के स्पेशल प्रोजेक्ट्स डायरेक्टर वसीम अकरम ने कहा कि दिल्ली में असमान जलवायु पैटर्न और बढ़ते प्रदूषण के बीच, Bird Atlas जैसी पहल और भी जरूरी हो जाती हैं।
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