'दिव्यांगों के लिए टैक्सी ऐप में हो खास सुविधा', दिल्ली हाईकोर्ट ने कंपनी को लगाई फटकार; केंद्र से मांगा जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने रैपिडो को फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने रैपिडो को चार महीने के भीतर दिव्यांगों के लिए अपने प्लेटफॉर्म की पहुंच में सुधार करने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले में केंद्र सरकार को टैक्सी ऐप को लॉन्च करने से पहले इसे दिव्यांगों के अनुकूल बनाने के लिए नियामक तंत्र पर जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने रैपिडो को दिव्यांगों के लिए अपने ऐप की पर्याप्त पहुंच सुनिश्चित करने में विफल रहने पर फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने रैपिडो को चार महीने के भीतर दिव्यांगों के लिए अपने प्लेटफॉर्म की पहुंच में सुधार करने का निर्देश दिया है।
दिव्यांगों के लिए ऐप को सुलभ बनाने का निर्देश
अदालत ने मामले में केंद्र सरकार को टैक्सी ऐप को लॉन्च करने से पहले इसे दिव्यांगों के अनुकूल बनाने के लिए नियामक तंत्र पर जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव को सुगमता अनुपालन की कमी के बारे में स्पष्टीकरण देने का भी निर्देश दिया।
अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी
अदालत ने संयुक्त सचिव को अगली सुनवाई में उपस्थित रहने और राइड-हेलिंग ऐप (एक मोबाइल ऐप जो आपको टैक्सी या निजी वाहन किराए पर लेने के लिए पास के ड्राइवर से संपर्क करने की सुविधा देता है) को सुलभता मानदंडों को पूरा करने के लिए मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी।
अदालत एक दृष्टिबाधित व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता दीप्टो घोष चौधरी ने याचिका में सवाल उठाया कि मौजूदा सुगम्यता कानूनों का पालन किए बिना ऐप को कैसे काम करने दिया गया।
उन्होंने रैपिडो की मालिक कंपनी रूपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज को सुगम्यता ऑडिट करने और समयबद्ध तरीके से सुगम्यता बाधाओं को हल करने के निर्देश देने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता राहुल बजाज ने तर्क दिया कि रैपिडो के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 89 के तहत जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए।
रैपिडो की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने अदालत को आश्वासन दिया कि सुगम्यता ऑडिट रिपोर्ट में संदर्भित सभी मुद्दों को विधिवत संबोधित किया जाएगा और चार महीने के भीतर एप्लिकेशन को सभी मामलों में विकलांगों के अनुकूल बनाया जाएगा।
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