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राम भक्तों ने सहरी और इफ्तारी का दिया समान, रोजा रखकर बंदे कर सके खुदा की इबादत

रामभक्तों ने मुस्लिमों के लिए शाहदरा स्थित श्रीराजमाता झंडे वाले मंदिर के कपाट खोले अपने पैसों से और सहरी व इफ्तारी का समान मुहैया करवाया।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 03:58 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 03:58 PM (IST)
राम भक्तों ने सहरी और इफ्तारी का दिया समान, रोजा रखकर बंदे कर सके खुदा की इबादत
राम भक्तों ने सहरी और इफ्तारी का दिया समान, रोजा रखकर बंदे कर सके खुदा की इबादत

नई दिल्ली (शुजाउद्दीन)। विविधता में एकता ही अपने देश की पहचान है। रमजान का माक महीना चल रहा है, कोरोना की वजह से देशभर में लॉकडाउन है। कामकाज ठप है, रोटी का इंतजाम ठीक तरह से न हो पाने के कारण बहुत से मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा नहीं रख पा रहे हैं। उनकी इबादत में कमी न रह जाए, यह रामभक्तों से देखा नहीं गया। रामभक्तों ने मुस्लिमों के लिए शाहदरा स्थित श्रीराजमाता झंडे वाले मंदिर के कपाट खोले अपने पैसों से और सहरी व इफ्तारी का समान मुहैया करवाया। ताकि वह लोग रोजा रखकर खुदा की इबादत कर सकें।

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रोजा अनुशासन और संयम रखना सिखाती
रोजे के लिए इफ्तार और सहरी का सामान मिलने पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रामभक्तों से कहा कि रोजे की हालत में जिस वक्त भूख और प्यास की तड़प होती वह अनुशासन और संयम रखना सिखाती है। वह नमाज और कुरान पढ़कर खुदा से रामभक्तों की सलामती की दुआएं करेंगे।

जिस कार्य में दयाभाव ना हो वह धार्मिक नहीं

मंदिर के संस्थापक सदस्य राजेश्वरानंद महाराज ने कहा कि जिस कार्य मे दयाभाव न हो वह धार्मिक नहीं हो सकता। कोरोना संकट के कारण मुस्लिम समुदाय के लोगों को रोजा रखने में दिक्कत हो रही थी, यह बात जब उन्हें और मंदिर के सदस्याें को पता चली तो उनके मन को गंवारा नहीं हुआ कि कोई राशन न होने की वजह से वह रोजा नहीं रख पा रहे हैं। सांप्रदायिक भेदभाव को दरकिनार करके सांप्रदायिक सौहार्द की स्थापना की कामना से उन्होंने

रमजान में भी राम नाम की सुगंध छिपी

मुस्लिम लोगों को रोजा व सहरी का समान दिया। उन्होंने कहा कि रमजान में भी राम नाम की सुगंध छिपी हुई हैं, राम- रहीम,कृष्ण करीम में खून एक ही रंग ओर ग्रुप का मिल जाता है तो हम भेदभाव करके इंसानियत को शर्मसार क्यों करें। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को अल्लाह या राम से कुछ मतलब नहीं होता वह तो धर्म की आड़ लेकर नफरत फैलाने का कार्य करते हैं। उन्हाेंने कहा कि जिस भी मुस्लिम समुदाय के लोगों को इफ्तारी और सहरी की दिक्कत है उसके लिए मंदिर हमेशा खुला है, यहां किसी का धर्म नहीं पेट की भूख जाती है। सभी रामभक्त रामदान भाव से रमजान में सहयोग करें। मंदिर से राशन लेेने वाले असलम ने कहा कि रमजान के महीने में एक नेकी के बदले खुदा 70 नेकियों का सवाब देते हैं। राशन न होने की वजह से रोजे रखने में बहुत परेशानी हो रही थी।

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