'छूटहि बंदि महा सुख होई', काम आया तलवार दंपती को हनुमान चालीसा का पाठ
जेल सूत्रों के मुताबिक, जेल में डा. राजेश तलवार समय मिलते ही हनुमान चालीसा का पाठ करने में जुट जाते थे।
गाजियाबाद [मनीष शर्मा]। 'जो शत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई।।' हनुमान चालीसा की इस चौपाई का सीधा-सा अर्थ है कि जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से मुक्त होकर परमानंद का भागी होगा। तलवार दंपती को तमाम मुसीबतों से पार लगाने में इसका चौपाई की भूमिका उतनी ही अहम है, जितनी वकीलों और गवाहों की।
बृहस्पतिवार को भी जब हाईकोर्ट का फैसला आया तो भी डा. राजेश तलवार के होंठों पर रामभक्त हनुमान का ही गुणगान था। जेल सूत्रों के मुताबिक, जेल में डा. राजेश तलवार समय मिलते ही हनुमान चालीसा का पाठ करने में जुट जाते थे। कई बार डा. तलवार जेल में बंद अन्य बंदियों को भी ऐसा ही करने की सलाह देते हुए सुना गया।
अब औरों की मुस्कान बनना है...
हंसता-खेलता तलवार परिवार एक जलजले के साथ तबाही के मुहाने तक पहुंच गया। घटना के नौ साल बीतने और जेल में चार साल की कैद काटने के बाद इंसाफ मिला तो मुरझाए हुए फूल फिर खिलने लगे। इसकी बानगी भी शुक्रवार को जेल में दिखी।
जेल सूत्रों के मुताबिक, बुझी-बुझी रहने वालीं डा.नुपूर तलवार के चेहरे पर सुकून था, जबकि डा. राजेश तलवार घुले-मिले जरूर, लेकिन संजीदगी बरकरार रही। जेल में बंद अन्य बंदियों से मिलने आने के साथ ही उपचार के लिए आते रहने का वादा हुआ।
अपनी बच्ची को खोने के साथ ही वक्त के थपेड़ों से पत्थर होती जा रही जिंदगी को जिन 113 किताबों ने आराम दिया उन्हें जेल को ही समर्पित कर दिया। शायद इसी उम्मीद में कि औरों के लिए भी ये सुकून का जरिया बन सकें। जिंदगी के कड़वे तजुर्बात से दो-चार रहे तलवार दंपती के इरादे ने एक बात तो साफ कर दी कि अब औरों के जीवन में मिठास घोलनी है।
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