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    दिल्ली हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा- 'RTI के तहत सूचना मांगने के मकसद पर सवाल उठाना कानून में नहीं'

    By Jagran NewsEdited By: Mohammad Sameer
    Updated: Sun, 17 Sep 2023 06:30 AM (IST)

    अदालत ने उक्त टिप्पणी आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लिकेशन का विवरण मांगने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए की। कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए इस एप को दो अप्रैल 2020 को केंद्र सरकार लॉन्च किया था। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने की पीठ ने उक्त यह टिप्पणी तब की जब केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने सूचना मांगने के याचिकाकर्ता के मकसद और एजेंडे पर सवाल उठाया।

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    आरटीआइ के तहत सूचना मांगने के मकसद पर सवाल उठाना कानून में नहीं: हाई कोर्ट (प्रतीकात्मक फोटो)

    विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली: सूचना का अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम के तहत सूचना उपलब्ध कराने से जुड़े एक मामले पर अहम टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सूचना मांगने के मकसद पर सवाल उठाना कानून में नहीं है।

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    RTI का उद्देश्य पारदर्शिता लाना है: कोर्ट

    अदालत ने कहा कि आरटीआइ का उद्देश्य पारदर्शिता लाना है और यदि कोई जानकारी है तो इसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। जब तक कि कानून के तहत प्रकटीकरण से छूट न हो। अदालत ने उक्त टिप्पणी आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लिकेशन का विवरण मांगने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए की। कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए इस एप को दो अप्रैल 2020 को केंद्र सरकार लॉन्च किया था।

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    न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने की पीठ ने उक्त यह टिप्पणी तब की जब केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने सूचना मांगने के याचिकाकर्ता के मकसद और एजेंडे पर सवाल उठाया।

    याचिकाकर्ता और आरटीआइ कार्यकर्ता सौरव दास ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 24 नवंबर 2020 के आदेश को भी चुनौती दी है।

    दास ने याचिका में 24 नवंबर 2020 को सीआइसी द्वारा पारित उस अंतिम आदेश को रद करने की मांग की है, जिसमें आरोग्य सेतु ऐप से संबंधित सार्वजनिक रिकार्ड न देने वाले विभिन्न एजेंसियों के अधिकारियों के खिलाफ आरटीआइ अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्यवाही को रद कर दिया गया है।

    मंत्रालय की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता राहुल शर्मा ने कहा कि उनके पास जो भी जानकारी है वह याचिकाकर्ता को पहले ही प्रदान की जा चुकी है और उनके पास कोई अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं है।

    इस पर अदालत ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह के अंदर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई दो नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी। याचिका में सीआइसी को याचिकाकर्ता को आरटीआइ अधिनियम के प्रविधानों के तहत नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई है।