जानिए, अब क्यों नहीं होंगे बड़े रेल हादसे, रेलवेे ने क्या किया इंतजाम
इंदौर-पटना एक्सप्रेस जैसी दुर्घटना न घटे इसके लिए रेल मंत्रालय सतर्क हो गया है। रेलवे ने दिल्ली सहित सभी पांचों मंडलों को 15 दिनों का विशेष संरक्षा अ ...और पढ़ें

नई दिल्ली [ संतोष कुमार सिंह ] । इंदौर-पटना एक्सप्रेस जैसी दुर्घटना न घटे इसके लिए पटरियों और कोच की जांच के लिए रेलवे ने एक बड़ी मुहिम शुरू की है। इससे जुड़े मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों को ऑफिस में बैठने के बजाय फील्ड में ज्यादा समय गुजारने और किसी भी तरह की खामी को तुरंत ठीक कराने को कहा गया है।
निरीक्षण के काम में किसी तरह की कोताही न रहे इसके लिए उन्हें उच्च अधिकारियों को रोजाना रिपोर्ट भी भेजनी होगी जिसमें इस बात का उल्लेख करना होगा कि उन्हें जांच में किस तरह की खामी मिली और उसे दूर करने के लिए क्या कदम उठाया गया।
20 नवंबर को इंदौर-पटना एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी जिसमें डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, गंभीर रूप से घायल कई लोग अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। इस दुर्घटना से सतर्क उत्तर रेलवे ने दिल्ली सहित सभी पांचों मंडलों को 15 दिनों का विशेष संरक्षा अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है।
इस दौरान पटरी और कोच की बारीकी से जांच की जाएगी। संबंधित अधिकारियों को पटरियों की जांच के लिए नियमित पेट्रोलिंग करने को कहा गया है। रात के समय पेट्रोलिंग टीम को विशेष सावधानी बरतने को कहा गया है क्योंकि पटरियों के चटकने की घटनाएं रात में तापमान कम होने पर ज्यादा होती है।
अधिकारियों का कहना है कि मौसम में बदलाव का असर रेल की पटरियों पर भी पड़ता है। पटरियां ठंड में सिकुड़ती हैं और गर्मियों में फैलती हैं। यह सिकुडऩ व फैलाव हादसे की वजह बन सकती है।
पटरियों को जोडऩे (लंबाई में) के लिए दो पटरियों के बीच 10 मिलीमीटर तक का गैप रखा जाता है ताकि गर्मी में पटरियां फैलने के लिए थोड़ा स्थान मिले। पटरियों को वेल्डिंग और बोल्ट के जरिए जोड़ा जाता है।
सर्दी के दिनों में यह गैप बढ़ जाता है जिससे पटरियों में दरार पडऩे या टूटने का खतरा होता है। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया जाए तो बड़ा नुकसान हो सकता है।
इसलिए ठंड बढऩे के साथ ही ट्रैक पर पेट्रोलिंग बढ़ा दी जाती है। खासकर रात दस बजे से सुबह छह बजे तक पटरियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
पटरियों के साथ ही कोच में किसी तरह की शिकायत मिलने पर इसे गंभीरता से लेने का निर्देश दिया गया है। सीनियर डिविजनल मैकेनिकल इंजीनियर और इनके नीचे के अधिकारियों को यार्ड में जाकर कोच की जांच करने को कहा गया है, जिससे कि किसी तरह की खामी न रहे।
अधिकारियों ने बताया कि 15 दिनों के विशेष अभियान के बाद भी पटरियों व कोच की जांच में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी क्योंकि सर्दी बढऩे पर पटरियों के चटकने की घटनाएं ज्यादा होती है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।