Move to Jagran APP

Delhi News: अब कुतुबमीनार की सच्चाई आएगी सामने, अध्ययन के लिए परिसर में खोदाई करेगी ASI टीम; यहां लगी हैं हिंदू मूर्तियां

Qutub Minar Truth दैनिक जागरण के अभियान का प्रभाव एक बार फिर दिखाई दिया है। पिछले कई दिनों से कुतुबमीनार को लेकर प्रकाशित खबरों पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने संज्ञान लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को कुतुबमीनार की सच्चाई पता लगाने की जिम्मेदारी दी गई है।

By Geetarjun GautamEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 06:22 PM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 06:22 PM (IST)
Delhi News: अब कुतुबमीनार की सच्चाई आएगी सामने, अध्ययन के लिए परिसर में खोदाई करेगी ASI टीम; यहां लगी हैं हिंदू मूर्तियां
कुतुबमीनार की सच्चाई जानने के लिए होगा अध्ययन

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कुतुबमीनार को लेकर उपजे विवाद के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को कुतुबमीनार की सच्चाई पता लगाने की जिम्मेदारी दी गई है। कुतुबमीनार पहुंचे केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने करीब दो घंटे तक कुतुबमीनार का निरीक्षण करने के दौरान इस बारे में एएसआइ को दिए निर्देश।

loksabha election banner

कुतुबमीनार परिसर में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद पर लगीं हिंदू मूर्तियों के बारे में पर्यटकों को जानकारी देने के लिए कल्चरल नोटिस बोर्ड लगाए जाएंगे। इसके साथ ही कुतुबमीनार परिसर में खोदाई होगी, जिसमें जमीन में दबे मंदिरों के अवशेषों के बारे में भी पता लगाया जाएगा। जागरण ने चार दिन तक लगातार प्रकाशित खबरों में शोधों और एएसआइ के पूर्व अधिकारियों के हवाले से प्रकाशित किया था। जिसमें बताया गया कि कुतुबमीनार सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक वाराहमिहिर की वेधशाला थी।

कुतुबमीनार की दीवार पर स्पष्ट रूप से दिखती कमल, वंदनवार व लटकती घंटी की आकृति। ये चिह्न हिंदू संस्कृति के प्रतीक हैं।

एएसआइ के पूर्व निदेशक ने बताया था वेधशाला

इस विवाद ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा के बयान के बाद तूल पकड़ा है, जिसमें उन्होंने इस कुतुबमीनार को सूर्य स्तंभ के नाम से एक वेधशाला बताया है। उनके अनुसार इसे कुतुबद्दीन ऐबक ने नहीं, उससे 700 साल पहले राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने आचार्य वाराहमिहिर के नेतृत्व में बनवाया था। कई अन्य शोधकर्ता भी यही बात दोहराते हैं।

कुतुबमीनार के मुख्य द्वार के ऊपर बनी वंदनवार व लटकती घंटी की आकृति। ये चिह्न भी हिंदू संस्कृति के प्रतीक हैं।

इस विवाद के बाद इस भीषण गर्मी में भी अन्य स्मारकों की अपेक्षा इस स्मारक में पर्यटकों की बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि दिल्ली के अन्य स्मारकों में गर्मी के चलते पर्यटक पहुंचने कम हुए हैं। कुतुबमीनार में दिल्ली के रहने वाले पर्यटकों के अलावा राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल और हरियाणा से भी पर्यटक पहुंच रहे हैं।पर्यटक सीधे कुतुबमीनार के पास पहुंचते हैं, जहां वह इस बात पर चर्चा करते हैं कि यह कुतुबमीनार है या वेधशाला।

जिन बिन्दुओं को आधार मानकर शोधकर्ता कुतुबमीनार के सूर्य स्तंभ होने का दावा कर रहे हैं, उन पर भी वे लोग चर्चा करते हैं। कुतुबमीनार पर बने झरोखों और बेल बूटों, घंटियों और कमल के फूलों को लेकर भी बात करते हैं। मीनार पर उन्हें पहचानने का प्रयास करते हैं। इसके बाद वे उस कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद में पहुंचते हैं जिसमें हिन्दू व जैन धर्म से संबंधित भगवानों की मूर्तियां लगी हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.