Delhi Electricity Rates: दिल्ली में बिजली के दाम बढ़ेंगे या नहीं? जल्द होने जा रहा फैसला
Delhi Electricity Price Hike दिल्ली में बिजली की कीमतें जल्द ही बढ़ सकती हैं क्योंकि बिजली मंत्री आशीष सूद ने सोमवार को खुलासा किया था कि राष्ट्रीय राजधानी पर 27000 करोड़ रुपये का भारी कर्ज है जो पिछली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा छोड़ा गया है। बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बकाया यह कर्ज दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के माध्यम से जमा किया गया है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में बिजली का टैरिफ पिछले दो वर्षों से घोषित नहीं हुआ है। दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद अगले महीने तक इसके घोषित होने की उम्मीद है। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। डीईआरसी इसके लिए बृहस्पतिवार व शुक्रवार को जनसुनवाई करेगा।
कैसे आपत्ति दर्ज करा सकेंगे लोग?
बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) ने अपने पिछले वित्त वर्ष के खर्च व आय का लेखा-जोखा डीईआरसी को सौंप दिया है। लोगों से सुझाव लेने के लिए डीईआरसी ने इसे अपने वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था।
अब लोग डीईआरसी के अधिकारियों के सामने उपस्थित होकर या फिर ऑनलाइन अपनी आपत्ति व राय दर्ज कराएंगे। इसके लिए डीईआरसी कार्यालय में बृहस्पतिवार को जनसुनवाई हो रही है।ॉ
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अधिभार शुल्क को कम करने की उठी मांग
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और व्यापारिक व अन्य संगठनों के सदस्य अपनी राय रखेंगे। उनकी राय पर विचार करने के बाद बिजली का नया टैरिफ घोषित किया जाएगा। बिजली वितरण कंपनियां जहां बिजली की दरें बढ़ाने की मांग कर रही हैं। वहीं, आरडब्ल्यूए व व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधि उपभोक्ताओं पर लगने वाले अधिभार व अन्य शुल्क को कम करने की मांग कर रहे हैं।
AAP ने 27000 करोड़ का कर्ज छोड़ा: ऊर्जा मंत्री
उल्लेखनीय है कि सोमवार को बिजली वितरण कंपनियों की नियामक परिसंपत्ति को लेकर दिल्ली के ऊर्जा मंत्री आशीष सूद ने पूर्व की आम आदमी पार्टी सरकार को कठघरे में खड़ा किया था। उन्होंने कहा था कि दिल्ली में 10 वर्षों से अधिक समय तक आप का शासन रहा। उसकी अक्षमता के कारण यहां के बिजली उपभोक्ताओं पर 27,000 करोड़ रुपये की नियामक परिसंपत्ति का बोझ डाल दिया गया।
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बिजली की दाम बढ़ाने पर क्या बोले ऊर्जा मंत्री ?
ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि बिजली वितरण कंपनियां नियामक परिसंपत्ति उपभोक्ताओं से वसूल करती हैं। इस तरह से आप सरकार ने बिजली कंपनियों को उपभोक्ताओं से 27,000 करोड़ रुपये वसूलने का अधिकार दे दिया है। अब अपनी नाकामी छिपाने के लिए आप के विधायक बिजली की दरों को लेकर प्रश्न पूछ रहे हैं।
उन्होंने कहा था, "दिल्ली सरकार बिजली की दरों को लेकर उपभोक्ताओं पर किसी तरह का बोझ नहीं पड़ने देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली की भाजपा सरकार बिजली की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।"
ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि आप सरकार के कार्यकाल में बिजली की दरें बढ़ती रही हैं। वर्ष 2014-15 में जब आप सरकार सत्ता में आई थी, उस समय 200 यूनिट तक बिजली की दर 4.47 रुपये और वर्ष 2024 में 4.59 रुपये है। वहीं, 801 से 1,200 यूनिट तक बिजली की दर 8.03 रुपये से बढ़कर 10.71 रुपये हो गई है।

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