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    एनएफएचएस रिपोर्ट में खुलासा: 73 प्रतिशत भारतीय झेल रहे प्रोटीन की कमी, 47 परसेंट में विटामिन बी-12 कम

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 03:24 PM (IST)

    पोषक तत्वों की कमी से शरीर का विकास रुक जाता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूत बनाने हार्मोन को नियंत्रित करने और ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत में 73% लोगों में प्रोटीन की कमी है। बच्चों में कुपोषण से बौनापन और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

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    73 प्रतिशत भारतीय झेल रहे प्रोटीन की कमी, 47 प्रतिशत में विटामिन बी-12 कम

    मुहम्मद रईस, नई दिल्ली। पोषक तत्व केवल भूख से ही नहीं बचाते। ये शरीर को विकास, मरम्मत और मांसपेशियों में लचीलेपन के लिए आवश्यक हैं। बीमारियों से बचाव में पहली भूमिका पोषक तत्वों की होती है। इसमें प्रोटीन सबसे महत्वपूर्ण है। यह न केवल मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, बल्कि हार्मोन को नियंत्रित करने, चयापचय को सहारा देने और पूरे दिन ऊर्जा के स्तर को स्थिर रखने के लिए जरूरी हैं। इसकी कमी से थकान, एकाग्रता में कमी, बीमारी से धीमी रिकवरी, बालों का झड़ना, हड्डियों की कमजोरी और कम प्रतिरोधक क्षमता हो सकते हैं।

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    गंभीर बीमारियों का खतरा

    आईएमआरबी (भारतीय बाजार अनुसंधान ब्यूरो) के मुताबिक देश में 73 प्रतिशत लोगों में प्रोटीन की कमी है। वहीं नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक 25 प्रतिशत से ज्यादा पुरुष व 57 प्रतिशत से अधिक महिलाएं एनीमिया से प्रभावित हैं। पोषक तत्वों की कमी का सबसे विपरीत प्रभाव बच्चों पर होता है। सही पोषण न मिलने पर शारीरिक व मानसिक विकास जहां अवरुद्ध हो जाता है, वहीं इसके चलते बौनेपन, मैरास्मस (अत्यधिक वजन घटना) और क्वाशिओरकोर (पेट और पैरों में सूजन) जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

    अनावश्यक वसा, चीनी और नमक बिगाड़ रहे सेहत

    भारत में यूनेस्को चेयर आन ग्लोबल हेल्थ एंड एजुकेशन के राष्ट्रीय प्रतिनिधि डा. राहुल मेहरा के मुताबिक बच्चे अधिक वसा, अधिक चीनी, अधिक नमक, कम ऊर्जा और कम पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं।

    एनएफएचएस-5 के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर पांच वर्ष से कम आयु के अधिक वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 2015-16 में 2.1 प्रतिशत से बढ़कर 2019-21 में 3.4 प्रतिशत हो गया है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की पोषण विशेषज्ञ कनिका नारंग के मुताबिक नियमित व्यायाम, संतुलित दिनचर्या के साथ ही भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा को मानक अनुरूप बढ़ाकर शरीर के स्वस्थ रखा जा सकता है।

    मैनकाइंड फार्मा के उपाध्यक्ष व प्रबंध निदेशक राजीव जुनेजा ने मौजूदा समय में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर को जरूरी बताया। उनके शत-प्रतिशत शाकाहारी मल्टीविटामिन ब्रांड हेल्थओके ने प्रोटीन सप्लीमेंट बाजार में प्रवेश की घोषणा की है। इस प्रोटीन रेंज को वैज्ञानिक रूप से उच्च प्रोटीन, उच्च फाइबर, प्रीबायोटिक्स और दोहरे मिश्रण वाले प्रोबायोटिक्स के साथ तैयार किया गया है। यह दिल्ली-एनसीआर के साथ ही उत्तर प्रदेश में किफायती पोषण उपलब्ध कराएगा। साथ ही प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को भी दूर करेगा।

    पांच वर्ष से कम आयु वर्ग में सुधार

    बीमारी  2015-16 2019-21
    बौनापन  38.4  35.5
    दुबलापन 21 19.3
    कम वजन 35.8 32.1

    (स्त्रोत- एनएफएचएस-4 व एनएफएचएस-5)

    पोषण की कमी का डाटा एक नजर में

    • 73 प्रतिशत भारतीयों में प्रोटीन की कमी।
    • 47 प्रतिशत भारतीय विटामिन बी-12 की कमी से प्रभावित।
    • 25 प्रतिशत से अधिक पुरुष एनीमिक।
    • 57 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से प्रभावित।
    • 80 प्रतिशत भारतीयों में विटामिन-डी का स्तर कम।

    कुपोषण के मामले में शीर्ष 10 जिले

    राज्य  जिला   कुपोषण का प्रतिशत
    सिक्किम  उत्तरी जिला  4.5
    पंजाब  लुधियाना  5.9
    हरियाणा  भिवानी  6
    दिल्ली-एनसीआर  नई दिल्ली  6.8
    तमिलनाडु  कोयंबटूर  7
    पंजाब फतेहगढ़  साहिब  7.1
    अरुणाचल प्रदेश  तवांग  7.1
    मिजोरम  आइजोल  7.3
    पुडुचेरी   माहे 7.3
    मिजोरम   ममित 7.4

    (नोट: कुपोषण का प्रतिशत-ऊंचाई के अनुपात में वजन का प्रतिशत। समस्त आकड़ों का श्रोत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय)

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