Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शादी के एक माह बाद प्रेगनेंट हुई महिला, भ्रूण गिराने को दिल्ली HC पहुंची; कोर्ट ने मामले में AIIMS से मांगी रिपोर्ट

    By Vineet TripathiEdited By: Geetarjun
    Updated: Mon, 16 Oct 2023 08:07 PM (IST)

    22 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने की मांग को लेकर 31 वर्षीय युवती द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स AIIMS) को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने युवती का मेडिकल परीक्षण करने के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा ताकि यह पता लगाया जा सके कि गर्भावस्था को समाप्त करने की प्रक्रिया से गुजरना युवती के लिए सुरक्षित होगा या नहीं।

    Hero Image
    शादी के एक माह बाद प्रेगनेंट हुई महिला, भ्रूण गिराने को दिल्ली HC पहुंची।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 22 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने की मांग को लेकर 31 वर्षीय युवती द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स, AIIMS) को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने युवती का मेडिकल परीक्षण करने के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा ताकि, यह पता लगाया जा सके कि गर्भावस्था को समाप्त करने की प्रक्रिया से गुजरना युवती के लिए सुरक्षित होगा या नहीं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    साथ ही मेडिकल बोर्ड को भ्रूण की स्थिति का पता भी लगाना होगा। अदालत ने 48 घंटे में मेडिकल परीक्षण की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 19 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।

    शादी के एक माह बाद गर्भवती होने का चला पता

    याचिकाकर्ता महिला की जून माह में शादी हुई थी और उसे एक महीने के बाद पता चला कि वह गर्भवती है। महिला ने याचिका में कहा कि शादी के बाद से ही पति उसे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित कर रहा था।

    पति पर परेशान करने का आरोप

    युवती ने आरोप लगाया कि उसके पति ने पहली बार जुलाई में शारीरिक उत्पीड़न किया और इसमें अगस्त में भी ऐसा किया, जब वह तीन महीने की गर्भवती थी। इसके बाद से वह अपने स्वजन के साथ रह रही है और वह गर्भवस्था को जारी नहीं रखना चाहती है।

    महिला को राहत देने के दौरान अदालत ने नोट किया कि उसने न तो अपने पति के खिलाफ शारीरिक शोषण की शिकायत दी है और न ही तलाक या अलगाव के लिए कोई याचिका दायर की है।

    ये भी पढ़ें- Delhi AIIMS: मारपीट के शिकार युवक ने जान गंवाने से पहले किया अंगदान, तीन लोगों को मिला जीवन

    अदालत ने कहा कि शीर्ष अदालत ने भी एक मामले में माना था कि जब एक महिला अपने साथी से अलग हो जाती है तो भौतिक परिस्थितियों में बदलाव आता है और बच्चे को पालने के लिए वित्तीय संसाधन नहीं रह जाएंगे।

    ये भी पढ़ें- सरोगेसी के लिए विवाहित होना क्यों जरूरी? दिल्ली HC ने केंद्र से पूछा- विधवा और तलाकशुदा कानून के दायरे से बाहर क्यों

    comedy show banner