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    बेजुबानों पर पड़ रही प्रदूषण की मार, कुत्ते-चील और कबूतर हो रहे अधिक बीमार; बचाव के लिए लिए करें ये उपाय

    Updated: Fri, 29 Nov 2024 02:17 PM (IST)

    प्रदूषण का असर सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि जानवरों और पक्षियों पर भी पड़ रहा है। दिल्ली में सांस लेने में दिक्कत होने पर छोटे पशु और पक्षी सबसे अधिक संख्या में अस्पताल पहुंच रहे हैं। सबसे अधिक दिक्कत कुत्तों को हो रही है क्योंकि ये खुले में घूमते हैं। पालतू में छोटे कुत्तों को अधिक समस्या है। आगे विस्तार से पढ़िए पूरी खबर।

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    दिल्ली में प्रदूषण की मार पशु और पक्षियों पर भी पड़ रही है।

    रिषभ बाजपेयी,  पश्चिमी दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण की मार सिर्फ इंसानों पर ही नहीं, बल्कि पशु और पक्षियों पर पड़ रही है। इस वजह से बेजुबान पशु और पक्षियों को सांस लेने में मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली में पशु के अस्पताल में सांस लेने में दिक्कत होने पर छोटे पशु और पक्षी सबसे अधिक संख्या में पहुंच रहे हैं। सबसे अधिक दिक्कत कुत्तों को हो रही है, क्योंकि ये खुले में घूमते है। पालतू में छोटे कुत्तों को अधिक समस्या है।

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    इसके अलावा आसमान में उड़ने वाले चील, मोर और कबूतरों को हो रही है। सांस के कारण कई बार वह उड़ते हुए नीचे गिर जाते हैं और लोग उन्हें लेकर अस्पताल आते हैं या फिर एंबुलेंस उन्हें लेने के लिए जाती है।10 दिन में सांस लेने में दिक्कत वाले पशु-पक्षी 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़े हैं।

    डाक्टर का कहना है कि जब से प्रदूषण गंभीर श्रेणी में पहुंचा है तब से छोटे पशु और पक्षियों को सांस लेने में अधिक दिक्कत हो रही है। राजा गार्डन स्थित संजय गांधी पशु अस्पताल में रोजाना ओपीडी में बड़ी संख्या में कुत्ते, बिल्ली, कबूतर, चील, मुर्गे, घोड़े, गाय और भैंस सहित अन्य जानवर किसी व्यक्ति के साथ इलाज करवाने के लिए आते हैं।

    अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डा. विजय पवार ने बताया कि प्रदूषण के गंभीर श्रेणी में पहुंचने के बाद अस्पताल में पशु-पक्षियों पर इसका खास प्रभाव देखने को मिला है। प्रदूषण के कारण छोटे पशु-पक्षियों को सांस लेने में अधिक समस्या सामने आ रही है। 10 दिन में 30-40 प्रतिशत छोटे पशु-पक्षियों में सांस की दिक्कत के मामले बढ़े हैं।

    वहीं, कुत्तों के अलावा पग डाग, बुलडाग और बाक्सर में भी सांस की समस्या देखने को मिल रही है, क्योंकि यह छोटे डाग होते हैं, इसलिए इनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है। रोजाना 200 डाग आते हैं, उसमें से 50 ऐसे होते हैं जिन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही है। इसलिए हल्की सा प्रदूषण इनके लिए काफी खतरनाक साबित हो जाता है।

    कई बार हुआ ऐसा है कि बेसहारा कुत्तों को सांस लेने में दिक्कत हुई तो लोगों ने 108 नंबर पर फोन कर एंबुलेंस मंगवाई और फिर वहां से लाकर उनका यहां पर इलाज किया गया। एक से दो हफ्ते तक इनका इलाज चलता है फिर वह ठीक हो जाते हैं।

    पक्षियों के लिए अधिक दिक्कत

    डॉ. विजय बताते हैं कि प्रदूषण के इस मौसम में आसामन में उड़ने वाले पक्षियों के लिए काफी परेशानी है। नीचे की वजह ऊपर प्रदूषण अधिक होता है। ऐसे में जब वे उड़ते तो दिक्कत होती है। सांस लेने में दिक्कत होती है। इनकी भी इम्युनिटी कमजोर होती है। 10 दिन में मोर, चील और कबूतर में सांस लेने में केस में इजाफा हुआ है। सामान्य दिनों में इनमें सांस लेने के चार ही केस आते थे, लेकिन अभी रोजाना 15 पक्षी ऐसे आ रहे हैं जिन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। यह गिर जाते हैं तो लोग इन्हें लेकर आते हैं या फिर एंबुलेंस लेने के लिए जाती है।

    बड़े जानवरों पर प्रदूषण का असर कम

    डा. विजय का कहना है कि बड़े जानवर पर प्रदूषण का असर होता है, पर कम होता है, क्योंकि इनका इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होता है। इस समय सांस लेने में गाय, भैंस और बकरी को दिक्कत आ रही है। इनके केस में करीबन 20 से 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। बाकी घोड़े, हाथी या ऊंट पर खास असर नहीं है। सर्दी भर बड़े जानवरों को खुले में नहीं बांधना चाहिए।

    प्रदूषण से बचने के लिए करें ये उपाय

    • -सुबह और शाम को डाग को बाहर टहलने से बचाएं।
    • -धूप निकलने तब ही बाहर घुमाएं।
    • -पौ​ष्टिक खाना दें।
    • -कुत्ते को मास्क जरूर लगाएं।
    • -रात को कुछ भी ठंडा न खिलाएं।