Pollution in Delhi Yamuna: कहां से आया यमुना में सफेद झाग, क्या है कारण? छठ पर तैयार हुए हैं 1000 से ज्यादा घाट
चार दिन तक चलने वाला आस्था का महापर्व छठ 17 नवंबर से शुरू हो चुका है। इसके तहत 19 नवंबर को छठ व्रती शाम के समय नदियों-तालाबों के पानी में उतरकर डूबते सूरज को अर्घ्य देंगी। इसे लेकर पूरे देश में जोर-शोर से तैयारी चल रही है। इसी के तहत दिल्ली में व्रतियों के लिए 1000 से ज्यादा घाट तैयार किए गए हैं।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चार दिन तक चलने वाला आस्था का महापर्व छठ 17 नवंबर से शुरू हो चुका है। इसके तहत 19 नवंबर को छठ व्रती शाम के समय नदियों-तालाबों के पानी में उतरकर डूबते सूरज को अर्घ्य देंगी। इसे लेकर पूरे देश में जोर-शोर से तैयारी चल रही है। इसी के तहत दिल्ली में व्रतियों के लिए 1000 से ज्यादा घाट तैयार किए गए हैं।
हालांकि यमुना नदी का सफेद झाग अब भी साफ नहीं हो सका है। सरकार की ओर से शुक्रवार को यमुना के सफेद झाग को हटाने के लिए केमिकल का छिड़काव भी किया गया था, लेकिन उसका कोई असर नहीं पड़ा। यमुना में शनिवार को भी सफेद झाग दिखाई दिया है ऐसे में छठ व्रतियों की परेशानी बढ़ गई है।
दिल्ली की यमुना में यह सफेद हमेशा रहता है। इस झाग के आसपास जाने पर ही आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। हमारी इस स्टोरी में जानिए कि आखिर यमुना नदी में यह सफेद झाग कहां से आता है, यह कैसे बनता है और कितनी दूर में है फैला...
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की एक रिपोर्ट में उल्लेख है कि यमुना नदी की लंबाई 1300 किमी से ज्यादा है। इसमें से भी दिल्ली के वजीराबाद से कालिंदी कुंज तक का हिस्सा 22 किलोमीटर ही है। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि यमुना का 76 फीसदी प्रदूषण इसी हिस्से में होता है।
यमुना नदी में मानसून को छोड़कर लगभग सालभर ताजा पानी नहीं रहता। पर्यावरणविदों के अनुसार जलस्रोतों में अक्सर झाग बनने की वजह वसा के अणु वाले पौधों का गलना होता है। लेकिन यमुना नदी में इस समय जो झाग बन रहा है उसका कारण कुछ अलग है।
यमुना नदी में बने झाग की वजह का कारण फॉस्फेट व नाइट्रेट हैं। कई शोध में सामने आया है कि सर्दी बढ़ने की वजह से प्राणवायु ऑक्सीजन बनने की प्रक्रिया मंद पड़ जाती है। मालूम हो कि छठ व्रतियों के लिए यमुना में अधिक पानी छोड़ा जाता है जो तेजी से ओखला बैराज से गिरता है। इसी के कारण झाग बनता है।
क्यों बनता है झाग
- सर्दी शुरू होते ही धीमी हो जाती है ऑक्सीजन बनने की प्रक्रिया।
- छठ के दौरान ज्यादा पानी छोड़ा जाता है, जिसमें फॉस्फेट की मात्रा अधिक होती है।
- घरों व फैक्ट्रियों से निकलने वाले सीवेज से भी बनता है झाग।
- कार्बनिक मॉलेक्यूल के सड़न से भी झाग बनता है।
- कालिंदी कुंज के आसपास ज्यादा झाग बनने की वजह ज्यादा प्रदूषण और ओखला बैराज से तेजी से पानी नीचे गिरना है।
नदी में ऐसे आता है फॉस्फेट व नाइट्रेट
फॉस्फेट और नाइट्रेट घरों में इस्तेमाल होने वाले साबुन और फैक्ट्रियों के अपशिष्ट से नदियों में आते हैं। यह दिखाता है कि नदियों में बिना शोधित किए नालों का पानी जा रहा है।