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    दिल्ली-NCR में इन वाहनों को चलाने की सिफारिश, CAQM ने दिए प्रदूषण रोकने के लिए दिए सुझाव

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 10:59 PM (IST)

    वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और शून्य उत्सर्जन वाले वाहन अप ...और पढ़ें

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    सीएक्यूएम ने शून्य उत्सर्जन वाले वाहनों को अनुमति देने की सिफारिश की।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली समेत एनसीआर में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने के साथ- साथ शून्य उत्सर्जन वाले वाहन अपनाने का निर्देश दिया है। इसके अलावा बिजली आपूर्ति बनाए रखने, ट्रैफिक जाम कम करने और लोगों को जागरूक करने जैसे कदमों पर भी जोर दिया है। आयोग ने कहा कि सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सभी विभागों को मिलकर लगातार निगरानी करनी होगी और नियमों को सख्ती से लागू करना होगा।

    दिल्ली समेत एनसीआर और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण की रोकथाम को लेकर (सीएक्यूएम) की 26वीं बैठक सोमवार को हुई। बैठक की अध्यक्षता आयोग के चेयरपर्सन राजेश वर्मा ने की। इसमें वायु गुणवत्ता सुधारने से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए। बैठक में आयोग की वर्ष 2024-25 की वार्षिक और आडिट रिपोर्ट को मंजूरी दी गई। इसके साथ ही 21 नवंबर 2025 को संशोधित ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) को भी मंजूर किया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार बदला गया है।

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    विशेषज्ञ समिति को दी गई मंजूरी

    बैठक में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए बनाई गई विशेषज्ञ समिति को भी मंजूरी दी गई। इस समिति की अध्यक्षता आइआइटी मद्रास के प्रो अशोक झुनझुनवाला करेंगे। यह समिति वाहन प्रदूषण, स्वास्थ्य पर इसके असर, स्वच्छ परिवहन, इलेक्ट्रिक वाहनों की तैयारी व नियमों में सुधार से जुड़े विषयों पर काम करेगी।

    टैक्सी और डिलीवरी कंपनियां अपनाएंगी शून्य उत्सर्जन वाहन

    आयोग ने टैक्सी एग्रीगेटर्स, डिलीवरी और ई-कामर्स कंपनियों के लिए शून्य-उत्सर्जन वाहनों को अपनाने से जुड़े नियमों पर भी चर्चा की। तय किया गया कि मौजूदा फ्लीट में बीएस चार पेट्रोल दोपहिया वाहन 31 दिसंबर 2026 तक शामिल किए जा सकेंगे, जबकि अन्य श्रेणियों में सामान्य पेट्रोल-डीजल वाहनों को एक जनवरी 2026 से शामिल करने पर रोक रहेगी।

    पराली जलाने की स्थिति की समीक्षा

    बैठक में 2025 के दौरान पराली जलाने की स्थिति की समीक्षा की गई। आयोग ने बताया कि 2021 की तुलना में एनसीआर में पराली जलाने की घटनाओं में करीब 92 प्रतिशत की कमी आई है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को निर्देश दिए गए कि वे 2026 में गेहूं की कटाई के समय पराली जलाने से रोकने के लिए राज्य स्तर पर कार्य- योजनाएं तैयार करें।

    धूल नियंत्रण के लिए सख्ती करने की बात

    इसके अलावा औद्योगिक इकाइयों पर की गई कार्रवाई, बंद और फिर से शुरू की गई फैक्ट्रियों तथा कानूनी मामलों की स्थिति की समीक्षा की गई। निर्माण और तोड़फोड़ से निकलने वाले कचरे पर चिंता जताते हुए आयोग ने कहा कि इससे निकलने वाली धूल दिल्ली-एनसीआर में पीएम 10 और पीएम 2.5 प्रदूषण का बड़ा कारण है। नगर निगमों और विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिए गए कि वे धूल नियंत्रण के नियमों का सख्ती से पालन कराएं और निर्माण कचरे के सही निपटान की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

    बीएस तीन और उससे पुराने वालों पर रहेगी सख्ती

    बैठक में पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। आयोग ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 17 दिसंबर 2025 के आदेश के अनुसार बीएस चार और उससे नए वाहनों को फिलहाल जबरन कार्रवाई से राहत मिलेगी, जबकि बीएस तीन और उससे पुराने अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी।