Guru Tegh Bahadur anniversary: वैश्वविक द्वंद्व के बीच भारत शांति के लिए काम कर रहाः नरेन्द्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत ने कभी किसी देश या समाज के लिए खतरा पैदा नहीं किया। हम पूरे विश्व के कल्याण के लिए सोचते हैं। आत्म निर्भर भारत में पूरे विश्व की प्रगति का लक्ष्य है।

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश पूरी निष्ठा के साथ गुरुओं के आदर्शेों पर आगे बढ़ रहा है। गुरु ग्रंथ साहिब हमारे लिए आत्म कल्याण के लिए पथ प्रदर्शक के साथ-साथ भारत की विविधता व एकता का सजीव प्रतीक है। यही कारण है कि अफगानिस्तान में जब संकट आता है तो भारत सरकार गुरु ग्रंथ साहिब को लाने के लिए अपनी ताकत लगा देती है। गुरु तेग बहादुर की जयंती पर बृहस्पतिवार को लाल किले पर अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि संकट में फंसे सिख भाइयों को भी लाया गया। नागरिकता संशोधन कानून से पड़ोसी देशों से आए सिख व अन्य अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता मिलने का रास्ता मिल सका है। यह सब इसलिए संभव हुआ क्योंकि सिख गुरु मानवता को आगे रखने की सीख देते हैं। वह लाल किला मैदान में गुरु तेग बहादुर जी के 400 वें प्रकाश पर्व को समर्पित कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज का भारत वैश्वविक द्वंदों के बीच दृढ़ता के साथ शांति के लिए काम कर रहा है। साथ ही अपनी देश की सुरक्षा के लिए भी उतनी दृढ़ता से अटल है। आज दुनिया भारत की तरफ देख रही है। मानवता के मार्ग पर पथ प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है।
उन्होंने कहा कि पुरानी सोच व रूढ़ियों को किनारे हटाकर गुरुओं ने नए विचार सामने रखे। नई सोच, सतत परिश्रतम व शत परिश्रम का नई सोच सिख समाज की पहचान है। हमें अपनी पहचान पर गर्व करना है। हमें एक एेसा भारत बनाना है जिसका सामर्थ्य दुनिया देखे। हमें भरोसा है गुरुओं के आशीर्वाद से भारत अपने गौरव के शिखर तक पहुंचेगा। आजादी के एक सौ साल मनाएंगे तो एक नया भारत हमारे सामने होगा।
उन्होंने कहा कि लाल किला कितने ही अहम काल खंडों का साक्षी रहा है। इस किले ने गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को देखा है और देश के लिए मर मिटने वालों के हौसले को भी परखा है। उन्होंने कहा कि भारत भूमि एक देश ही नहीं है ब्लकि हमारी महान विरासत है, परंपरा है। इसके सम्मान व पहचान को बचाने के लिए दसों गुरुओं ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, इसलिए सैकड़ों साल की गुलामी की मुक्ति को भारत की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक यात्रा से अलग करके नहीं देखा जा सकता है।
लाल किले के पास ही गुरु तेग बहादुर जी के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहिब है। भारत की पहचान को बनाए रखने के लिए गुरु तेग बहादुर जी हिंद की चादर बनकर खड़े हो गए थे। वर्तमान समय गवाह है और यह लाल किला भी गवाह है कि औरंगजेब और उसके जैसे साथियों ने अनेकों सिरों को धड़ को अलग किया लेकिन हमारी आस्था को हमसे अलग नहीं कर सका। बड़ी-बड़ी सभ्यताएं खत्म हो गईं। बड़े-बड़े तूफान शांत हो गए लेकिन भारत आज भी अमर खड़ा है। भारत आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष सरकार ने साहिबजादों के महान बलिदान की स्मृति में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया। सिख परंपरा के तीर्थों को जोड़ने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। करतारपुर साहिब कोरिडोर का निर्माण कर सरकार ने गुरु सेवा की प्रतिबद्धता दिखाई है। पटना साहिब सहित गुरु गोविंद सिंह से जुड़े स्थानों पर रेल सुविधा पहुंचाई जा रही है। स्वदेश दर्शन के तहत पंजाब में आनंद पुर साहिब और अमृतसर साहिब समेत सभी प्रमुख स्थानों को जोड़कर सिख सर्किट बन रहा है। हेमकुंठ साहिब में रोपवे का काम चल रहा है।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, जी किशन रेड्डी, केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल, मीनाक्षी लेखी, पंजाब सरकार के मंत्री हरजोत सिंह बैंस, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका मौजूद थे।

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