Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत को पीएम मोदी की डिग्री दिखा सकते हैं, अजनबियों को नहीं: DU ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा

    Updated: Thu, 27 Feb 2025 08:12 PM (IST)

    Delhi University ने पीएम मोदी की डिग्री को लेकर दायर याचिका पर अपना पक्ष रखा है। डीयू ने कहा कि उसे पीएम की डिग्री अदालत को दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन वह इसे अजनबियों की जांच के दायरे में नहीं लाएगा। डीयू की तरफ से पेश हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि एक छात्र की डिग्री की मांग की जा रही है जो देश के प्रधानमंत्री हैं।

    Hero Image
    Delhi News: पीएम मोदी की डिग्री कोर्ट में पेश करने पर कोई आपत्ति नहीं-डीयू का रुख।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली।PM Modis Degree: प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की डिग्री से जुड़ी याचिका पर बृहस्पतिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने कहा कि उसे पीएम की डिग्री अदालत को दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह इसे अजनबियों की जांच के दायरे में नहीं लाएगा। डीयू की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि एक छात्र की डिग्री की मांग की जा रही है, जो देश के प्रधानमंत्री हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एसजी ने कहा कि हमारे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है और बीए की मूल डिग्री को अदालत में दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन डीयू के रिकॉर्ड को उन लोगों के सामने उजागर नहीं करेंगे जो या तो प्रचार या किसी अप्रत्यक्ष राजनीतिक उद्देश्य के लिए यहां आए हैं। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने एसजी का पक्ष सुनने के बाद मामले पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया।

    CIC के आदेश पर हाई कोर्ट ने  2017 में लगाई थी रोक 

    डीयू ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को चुनौती दी है। सीआईसी ने डीयू को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दिसंबर-2016 में आवेदनकर्ता नीरज शर्मा को 1978 में बीएस परीक्षा पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड का निरीक्षण करने का आदेश दिया था। इसी वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पास की थी।

    CIC के उक्त आदेश पर हाईकोर्ट ने 23 जनवरी 2017 में रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता नीरज शर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएम की डिग्री का विवरण मांगा था। डीयू ने यह कहते हुए डिग्री की जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया था कि यह निजी जानकारी है और इसका सार्वजनिक हित से कोई लेना-देना नहीं है।

    सीआईसी द्वारा पारित आदेश हो रद-एसजी तुषार मेहता

    गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने कहा कि जानने का अधिकार कोई अछूता अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि पुट्टास्वामी मामले में एक निष्कर्ष सर्वसम्मति से पारित किया गया था कि निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है। उन्होंने यह भी कहा कि आरटीआई अधिनियम के तहत व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगी जा सकती।

    एसजी तुषार मेहता ने कहा कि हमारे पास यह है लेकिन हम इसे नहीं देंगे क्योंकि हम इसके लिए वैधानिक रूप से बाध्य नहीं हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि आरटीआई अधिनियम का इस्तेमाल अधिकारियों को डराने-धमकाने के लिए नहीं किया जा सकता है।

    यदि ऐसे आवेदनों पर विचार किया जाता है तो सार्वजनिक अधिकारी अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि आरटीआई अधिनियम का उपयोग अपनी ड्यूटी कर रहे अधिकारियों को डराने के लिए एक उपकरण के रूप में नहीं किया जा सकता है। एसजी तुषार मेहता से कहा कि सीआईसी द्वारा पारित आदेश को रद किया जाना चाहिए।

    यह भी पढ़ें: दिल्ली विधानसभा के बाहर AAP विधायकों का प्रदर्शन, राष्ट्रपति से मिलने का मांगा समय; कहा- देश में पहली बार...