जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सुनियोजित नेट जीरो नीतियों की जरूरत, इंपीरियल कॉलेज लंदन की रिपोर्ट में दावा
प्रतिष्ठित जर्नल साइंस में प्रकाशित इंपीरियल कॉलेज लंदन के नेतृत्व में हुए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि जब तक कानूनी रूप से और अधिक बाध्यकारी और सुनियोजित नेट ज़ीरो नीतियां नहीं होंगी दुनिया के तमाम देश अपने प्रमुख जलवायु लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाएंगे।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। प्रतिष्ठित जर्नल साइंस में प्रकाशित, इंपीरियल कॉलेज लंदन के नेतृत्व में हुए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि जब तक कानूनी रूप से और अधिक बाध्यकारी और सुनियोजित नेट ज़ीरो नीतियां नहीं होंगी, दुनिया के तमाम देश अपने प्रमुख जलवायु लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाएंगे।
शोधकर्ताओं ने पाया कि वैश्विक स्तर पर 90 प्रतिशत नेट ज़ीरो ग्रीनहाउस गैस एमिशन प्रतिज्ञाओं के पूर्ण कार्यान्वयन के बाद भी अपेक्षित सफलता मिलना कठिन है। उनके मुताबिक, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए और अधिक मजबूत उपायों की तत्काल आवश्यकता है।
प्रमुख शोधकर्ता ने किया ये दावा
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता, इंपीरियल में ग्रांथम इंस्टीट्यूट के शोध के निदेशक प्रोफेसर जोएरी रोगेल ने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए इस बात पर ज़ोर दिया कि लक्ष्य निर्धारित करने के साथ साथ प्रयास उन लक्ष्यों को हासिल करने का भी होना चाहिए। उन्होंने कहा, "जलवायु नीति महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने से लेकर उन्हें लागू करने की ओर बढ़ रही है।
हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि अधिकांश देश कोई खास उम्मीद नहीं देते हैं कि वे अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेंगे। दुनिया अभी भी एक उच्च जोखिम वाले जलवायु ट्रैक पर है और हम एक सुरक्षित जलवायु भविष्य प्रदान करने से बहुत दूर हैं।"
निष्कर्षों से पता चलता है कि लगभग 90 प्रतिशत नेट ज़ीरो नीतियों ने "कम" या "बहुत कम" आत्मविश्वास हासिल किया, जिसमें चीन और अमेरिका जैसे प्रमुख उत्सर्जक शामिल हैं, जो सामूहिक रूप से वर्तमान एमिशन के 35 प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं। यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम और न्यूजीलैंड सहित कुछ क्षेत्रों ने उच्च आत्मविश्वास का भी स्कोर प्राप्त किया।
एक आधार के रूप में विश्वास मूल्यांकन का उपयोग करते हुए, अनुसंधान दल ने भविष्य के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और परिणामी तापमान के लिए पांच परिदृश्यों का मॉडल तैयार किया। ये परिदृश्य केवल वर्तमान नीतियों (सबसे रूढ़िवादी परिदृश्य) पर विचार करने से लेकर सभी नीतियों और एनडीसी (सबसे क्षमाशील परिदृश्य) के पूर्ण कार्यान्वयन तक के हैं।
जलवायु परिवर्तन लक्ष्य हैं महत्वाकाक्षी
वाशिंगटन डीसी में विश्व संसाधन संस्थान से सह-लेखक टैरिन फ्रांसेन और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-बर्कले में ऊर्जा और संसाधन समूह ने कार्यान्वयन के महत्व पर जोर देते हुए कहा, "जलवायु परिवर्तन लक्ष्य अपने स्वभाव से महत्वाकांक्षी हैं, इसलिए इस बात का कोई मतलब नहीं है कि हम एक पूर्व निर्धारित निष्कर्ष को ही अपना लक्ष्य मान कर काम करें। ध्यान अगर किसी बात पर देना है तो वो है इन योजनाओं के कार्यान्वयन पर।"
यह अध्ययन इस बात पर भी रोशनी डालता है कि वक़्त कि मांग है कि अब कानूनी रूप से बाध्यकारी नेट ज़ीरो नीतियों की संख्या में वृद्धि हो। इसके अलावा, देशों को विभिन्न क्षेत्रों के लिए स्पष्ट नेट ज़ीरो नीति कार्यान्वयन मार्ग विकसित करने चाहिए, आवश्यक विशिष्ट परिवर्तनों की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए और तदनुसार कार्यान्वयन की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए।
इस रिपोर्ट में इंपीरियल कॉलेज लंदन, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम्स एनालिसिस, द वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-बर्कले, नीदरलैंड एनवायरनमेंटल असेसमेंट एजेंसी, इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंटल स्टडीज, न्यूक्लाइमेट, इंस्टीट्यूट, कोपर्निकस इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट, और यूनिवर्सिडेड फेडरल डो रियो डी जनेइरो सहित दुनिया भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल हैं। इन सब ने साथ आ कर वैश्विक नेट ज़ीरो नीतियों और जलवायु परिवर्तन शमन पर उनके संभावित प्रभाव का व्यापक मूल्यांकन प्रदान करने के लिए इस अध्ययन में सहयोग किया
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।