वापस लौटेगा पुरानी दिल्ली का वैभव! चांदनी चौक की एक लाख से अधिक इमारतों पर चलेगा बुलडोजर
चांदनी चौक में 70 प्रतिशत से ज़्यादा इमारतें अवैध हैं जिससे यह भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ा शहर बन गया है। एमसीडी पुलिस और बिल्डर माफियाओं के गठजोड़ ने पुरानी दिल्ली को अवैध निर्माणों का शहर बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बाजार में चिंता का माहौल है क्योंकि कार्रवाई से कारोबार प्रभावित होने की आशंका है।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। चांदनी चौक के मौजूदा परिदृश्य के बारे में यह कहा जाए कि यह भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ी अवैध इमारतों में बसा शहर हो गया है तो गलत नहीं होगा।
स्थिति यह कि पूरे क्षेत्र की मौजूदा बसावट में 70 प्रतिशत से अधिक अवैध निर्माण है। उसे दुरुस्त करने की कार्रवाई होती है तो करीब एक लाख से अधिक इमारतें जमींदोज हो जाएंगी और इस ऐतिहासिक शहर की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी।
वैसे, अवैध निर्माण का यह मामला अकेले चांदनी चौक क्षेत्र का ही नहीं है। बल्कि, एमसीडी, दिल्ली पुलिस, जनप्रतिनिधि व बिल्डर माफियाओं के गठजोड़ ने समूचे पुरानी दिल्ली को ही अवैध निर्मित इमारतों का शहर बना दिया है। जामा मस्जिद क्षेत्र में अवैध तरीके से छह से आठ मंजिला तक की इमारतें खड़ी हो गई हैं।
1970 से हुई पुरानी दिल्ली के विकृत रूप की शुरुआत
पुरानी दिल्ली का यह विकृत रूप 1970 के बाद शुरू हुआ, जब चांदनी चौक थोक व्यवसायिक क्षेत्र तथा जामा मस्जिद का क्षेत्र सघन आबादी वाले क्षेत्र के रूप में आकार लेने लगा।
यह अवैध निर्माण मुगलकालीन या स्वाधीनता के आस-पास निर्मित घरों की मरम्मत के नाम पर उसे तोड़कर हुआ है। ऐसे में वर्तमान में पुरानी दिल्ली का स्वरूप पूरी तरह से बदल चुका है।
अब व्यावसायिक व आवासीय मिश्रित की जगह पूरी तरह से व्यावसायिक क्षेत्र में तब्दील होती जा रही है। कई गलियां ऐसी हैं, जहां अब कोई परिवार नहीं रहता या एक-दो परिवार ही बचे हैं।
स्पेशल जोन में आती है पुरानी दिल्ली
ऐतिहासिक बसावट के कारण पुरानी दिल्ली स्पेशल जोन में आती है। यहां इमारतों में निर्माण क्या, मरम्मत के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है।
इस क्षेत्र विशेष के लिए शाहजहांनाबाद पुनर्विकास निगम (एसआरडीसी) का भी गठन किया गया है। इसकी देखरेख में चांदनी चौक के मुख्य मार्ग के पुनर्विकास का भी काम हुआ है। हालांकि, शक्तियां न होने से यह प्रभावी नहीं है।
सरकार की कार्यप्रणाली तथा डीडीए की उदासीनता भी जिम्मेदार
अवैध निर्माण के लिए दिल्ली सरकार की कार्यप्रणाली तथा दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की उदासीनता भी कम जिम्मेदार नहीं है।
मास्टर प्लान 2021 में डीडीए को इस विशेष क्षेत्र के लिए तीन वर्ष के भीतर अलग से प्लान बनाना था, तब तक के लिए किसी भी निर्माण अनुमति पर रोक लगा दी गई।
यह वर्ष 2005-06 की बात होगी। तब से 20 वर्ष बीत गए और अभी तक प्लान नहीं घोषित हुआ है। इसके बीच, लाखों अवैध निर्माण हो गए।
बाजार में चिंता का माहौल
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध निर्माण तथा एमसीडी तथा दिल्ली पुलिस को कार्रवाई के आदेश से बाजार में चिंता का माहौल है। चिंता इसलिए भी है कि अगर कार्रवाई होती है तो उनके कारोबार का क्या होगा।
चांदनी चौक में अवैध निर्माणों के लिए पूरी तरह से दिल्ली में पूर्व की सरकारों का निकम्मापन जिम्मेदार है। उसने जरूरतों के अनुसार, दिल्ली में नए व्यावायिक क्षेत्र नहीं बनाए। ऐसे में व्यापारी वर्ग बिल्डर्स के हाथों मजबूर है।
-प्रवीन खंडेलवाल, सांसद, चांदनी चौक
चांदनी चौक क्या, पूरी पुरानी दिल्ली का अवैध निर्माण से बुरा हाल है। जामा मस्जिद क्षेत्र में तो आठ मंजिल तक अवैध निर्माण हो चुके हैं। यह इसलिए कि डीडीए इस विशेष क्षेत्र के लिए प्लान लेकर आने में विफल रही है। इसके लिए मरम्मत के नाम पर बड़ा घोटाला हो रहा है।
-संजय भार्गव, अध्यक्ष, अध्यक्ष, चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल
नि:संदेह खतरनाक तरीके से किये जाने वाला अवैध निर्माण खासकर चौथी व पांचवी मंजिल का निर्माण रोकना जरूरी है। केवल वह निर्माण होना चाहिए जो नक्शा पास करवा कर नियमों के तहत हो। मास्टर प्लान 2021 में जिन सड़कों व गलियों काे व्यवसायिक अथवा रिहाइशी भूमि उपयोग लिखा है, उसका पालन करना चाहिए।
-प्रवीण शंकर कपूर, प्रवक्ता, भाजपा
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