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    Yamuna Pollution: बदले हालात, यमुना नदी में फॉस्फेट हुआ कम; बीओडी स्तर भी सुधरा

    डीपीसीसी की मई माह की रिपोर्ट के अनुसार यमुना में फॉस्फेट स्तर में सुधार हुआ है हालांकि बीओडी में मामूली सुधार है। अभी भी कई स्थानों पर ऑक्सीजन शून्य है। फास्फेट का स्तर असगरपुर और ओखला में गिरा है पर फीकल कोलीफार्म का स्तर असगरपुर में बढ़ गया है जो गैर-शोधित सीवर के सीधे यमुना में जाने का प्रमाण है। मानसून में सुधार की उम्मीद है।

    By sanjeev Gupta Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Tue, 20 May 2025 07:42 AM (IST)
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    अभी भी मानकों के अनुरूप नहीं है पानी की गुणवत्ता। फाइल फोटो- जागरण

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। यमुना की हालत पर हर महीने आने वाली नकारात्मक रिपोर्ट के बीच मई की रिपोर्ट भविष्य के प्रति आस बंधाती है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (DPCC) द्वारा जारी मई माह की रिपोर्ट बताती है कि यमुना में फॉस्फेट के स्तर में सुधार आया है। कुछ जगहों पर बीओडी के स्तर में भी सुधार देखने को मिला है, लेकिन यह बहुत मामूली है।

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    अब यमुना में कम बनेगा झाग

    वहीं अब भी आठ में से छह प्वाइंट पर यमुना के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा शून्य रही है। इस रिपोर्ट के अनुसार बीओडी के मानक महज पल्ला में पूरे हो रहे हैं। अन्य सभी आठों जगहों पर पानी मानकों के अनुरूप नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि फॉस्फेट के स्तर में कमी आई है।

    अप्रैल में फॉस्फेट का स्तर असगरपुर में 5.77 एमजी प्रति लीटर और ओखला में 5.44 एमजी प्रति लीटर था, लेकिन मई की रिपोर्ट में इसका स्तर असगरपुर में 1.92 एमजी प्रति लीटर और ओखला में 1.57 एमजी प्रति लीटर रह गया है।

    काफी बढ़ा फीकल कोलीफार्म का स्तर

    हालांकि नदी के पानी में फॉस्फेट की मौजूदगी नहीं होनी चाहिए। ओखला बैराज में आगरा कनाल प्वाइंट पर फॉस्फेट का स्तर 4.81 एमजी प्रति लीटर रहा था, जो अब 1.77 एमजी प्रति लीटर रह गया है। फीकल कोलीफार्म का स्तर असगरपुर में काफी बढ़ गया है। अप्रैल में इसका स्तर 13,00,000 था, जो अब मई में बढ़कर 15,00,000 एमजी प्रति लीटर हो गया है।

    यह सीधे-सीधे गैर शोधित सीवर का यमुना में जाने का सबूत है। निजामुद्दीन ब्रिज पर इसका स्तर 35,000 एमजी प्रति लीटर है, जो मई में बढ़कर 79,000 एमजी प्रति लीटर हो गया है। एक अधिकारी के अनुसार मानसून के तीन से चार महीने में यमुना का स्तर दिल्ली में काफी सुधर जाता है। हालांकि इसके बावजूद कई जगहों पर मानकों की कमी और प्रदूषण की समस्या बनी रहती है।

    क्या है सुरक्षित स्तर

    • बीओडी: तीन माइक्रोग्राम प्रति लीटर या इससे कम होना चाहिए।
    • डीओ: पांच माइक्रोग्राम प्रति लीटर या इससे अधिक होना चाहिए।
    • फीकल कोलीफार्म: 2500 एमपीएन प्रति 100 मिलीग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।