दिल्ली में बाढ़ के बीच खाने को दर-बदर भटकते लोग, सामने आई बच्चों की रुलाने वाली तस्वीर!
पहाड़ों की बारिश और दिल्ली में हुई वर्षा के कारण दिल्ली में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। यमुना बाजार क्षेत्र में राहत शिविरों में पानी घुस गया है जिससे 15000 लोगों को शिविरों में रहना पड़ रहा है। यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर चला गया है। एमसीडी ने राहत शिविरों में कीटनाशकों का छिड़काव करने के निर्देश दिए हैं।

पहाड़ों की बारिश के बाद यमुना में आए अतिरिक्त पानी से और दिल्ली में भी हुई वर्षा के कारण दिल्ली में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। यमुना बाजार क्षेत्र में राहत शिविरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। रिंग रोड पर पानी आने के खतरे को देखते हुए वजीराबाद-सिग्नेचर ब्रिज और चंदगीराम अखाड़ा-आइपी कालेज रेड लाइट तक यातायात डायवर्ट किया गया है।
यमुना का जलस्तर 207.33 मीटर पहुंच गया है, जो कि खतरे के निशान 205.33 मीटर से लगभग दो मीटर ज्यादा है। इससे पहले 11 जुलाई 2023 को 208.66 मीटर और उसके पहले वर्ष 1978 में 207.49 मीटर जलस्तर हो गया था।
बाढ़ के खतरे के बीच दिल्ली के राहत शिविरों से खाने के लिए लाइन में लगे छोटे बच्चों की कुछ ऐसी तस्वीरें आईं हैं जो रुला देने वाली है।
ऐसे हाल में जब करीब 15000 लोगों को अपना घर छोड़कर राहत शिविरों में रहना पड़ रहा है, ऐसी तस्वीरें बेहद द्रवित करने वाली होती हैं।
राहत शिविरों में कीटनाशकों का हुआ छिड़काव
संक्रामक रोगों को बढ़ने से रोकने के लिए एमसीडी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों तथा राहत शिविरों में कीटनाशकों के छिड़काव के निर्देश दिए हैं।
एमसीडी की स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा ने इस संबंध में जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहा है कि राहत शिविरों में अतिरिक्त डीबीसी (डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर्स) कर्मचारियों की तैनाती की जाए, ताकि मच्छरों के लार्वा की समय पर रोकथाम हो सके और डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया जैसी बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण रखा जा सके।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि मच्छर जनित बीमारियों के रोकथाम अभियान को व्यवस्थित और सघन बनाने के लिए डीबीसी कर्मचारियों की विशेष टीम गठित की जाए, जो प्रभावित क्षेत्रों में नियमित रूप से जाकर समन्वित तरीके से कार्य करे।
इस टीम को संबंधित जोनल अधिकारियों की निगरानी में लगाया जाएगा, ताकि किसी भी क्षेत्र की अनदेखी न हो और हर शिविर में समय पर छिड़काव सुनिश्चित हो सके।
इसी तरह राहत शिविरों में नागरिकों के बीच क्लोरीन की बोतलें व ओआरएस पैकेट वितरित किए जाएं, ताकि पेयजल शुद्ध रहे और लोग जलजनित बीमारियों से सुरक्षित रह सकें। नेमिष हेमंत,
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