पट्टचित्र और मधुबनी पेंटिंग ने जीता दिल, इस कला से कई पीढ़ियों से जुड़े परिवार के लोग
दक्षिणी दिल्ली में आयोजित एक शिल्पोत्सव में ओडिशा के पट्टचित्र कलाकार श्रीकांत ने अपनी पारंपरिक कला का प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि उनके परिवार की कई पीढ़ियां इस कला से जुड़ी हैं जिसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता है। प्रदर्शनी में देशभर से कारीगरों ने भाग लिया जिसमें विभिन्न राज्यों की शिल्पकला और हथकरघा उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। मधुबनी पेंटिंग भी आकर्षण का केंद्र रही।

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। पट्टचित्र में सिर्फ वनस्पति और खनिज रंगों का इस्तेमाल होता है और पांच प्राकृतिक रंगों हिंगुला, हरितला, काला, शंख और गेरू से ही सारे चित्र बनते हैं। सफेद रंग सीपियों को पीसकर, उबालकर और छानकर लंबी प्रक्रिया से तैयार होता है, जबकि काला रंग नारियल के गोले को जलाकर काजल से तैयार किया जाता है। चित्रों में धार्मिक और प्राकृतिक आकृतियां उकेरी जाती हैं।
ये जानकारी ओडिशा के पट्टचित्र कलाकार और राष्ट्रीय पुरस्कार पा चुके विश्वनाथ के बेटे श्रीकांत ने दी। उन्होंने बताया कि पिता को इस कला के लिए 2015 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। उनकी बुआ सुकांती भी 2018 में राष्ट्रपति पुरस्कार पा चुकी हैं। कई पीढ़ियों से उनके परिवार के लोग इस कला से जुड़े हैं। खास पेंटिंग लाए जिसमें गणेश भगवान के एक ही चित्र में 1008 चित्र बनाए गए हैं। सबसे महंगी पेटिंग तीन लाख रुपये की है।
वे आइएनए स्थित दिल्ली हाट में वस्त्र मंत्रालय की ओर से शुरू हुए “शरद शिल्पोत्सव” में ओडिशा की पारंपरिक कला लेकर पहुंचे हैं। इस शिल्पोत्सव में देशभर से 80 हस्तशिल्प कारीगर और 36 हथकरघा बुनकर अपने उत्कृष्ट और अनोखे उत्पादों के साथ पहुंचे हैं।
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प्रदर्शनी में पारंपरिक शिल्पकला और बुनाई के साथ-साथ समकालीन डिजाइन का भी अनूठा संगम पेश किया गया है। इसके अलावा परिसर में लाइव डेमोंस्ट्रेशन और विशेष इंस्टालेशन भी लगाई गई है, जिससे यहां आने वाले पर्यटक हुनर की बारीकियां देख सकें।
विभिन्न शहरों की शिल्पकला ने जीता दिल
शिल्पोत्सव में सहारनपुर की वुड कार्विंग, मणिपुर की चादरें, हैदराबाद के रियल पर्ल ज्वेलरी की खरीदारी भी कर सकते हैं। कच्छ गुजरात की एंब्रोइडरी से सजे सामान आपको खूब पसंद आएंगे। उत्तर प्रदेश के महाराज गंज से आईं फातमा जरी जरदोजी क्राफ्ट लेकर पहुंची हैं जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। वहीं स्वीटी कुमारी मधुबनी पेंटिंग से दिल जीत रही हैं।
बताती हैं कि यह कला मुख्य रूप से दीवारों, कपड़ों और कागज पर की जाती है और इसमें प्राकृतिक दृश्यों, देवी-देवताओं और प्राचीन महाकाव्यों से प्रेरित आकृतियों को दर्शाया जाता है।

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