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    Delhi: लिवर प्रत्यारोपण तक पहुंचे मरीज की प्लाज्मा बदलकर बचाई जान, 30 लाख की जगह 30 हजार आया खर्चा

    By Jagran NewsEdited By: Geetarjun
    Updated: Sun, 18 Dec 2022 06:58 PM (IST)

    राजधानी के सर गंगाराम अस्पताल ने लिवर फेल होने की स्थिति में पहुंचे मरीज का लिवर प्रत्यारोपण के बिना सफल उपचार किया है। इसके लिए यहां के डाक्टरों ने प्लेक्स यानी प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी का सहारा लिया जबकि इस स्थिति में लिवर प्रत्यारोपण ही अभी तक एकमात्र इलाज रहा है।

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    लिवर प्रत्यारोपण तक पहुंचे मरीज की प्लाज्मा बदलकर बचाई जान, 30 लाख की जगह 30 हजार आया खर्चा

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी के सर गंगाराम अस्पताल ने लिवर फेल होने की स्थिति में पहुंचे मरीज का लिवर प्रत्यारोपण के बिना सफल उपचार किया है। इसके लिए यहां के डाक्टरों ने प्लेक्स यानी प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी का सहारा लिया, जबकि इस स्थिति में लिवर प्रत्यारोपण ही अभी तक एकमात्र इलाज रहा है।

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    प्लेक्स तकनीक में मरीज का प्लाज्मा बदला जाता है। एक बार प्लाज्मा बदलने पर मात्र 30 हजार रुपये खर्च आता है, जबकि लिवर प्रत्यारोपण पर 30 लाख रुपये तक खर्च आता है। प्लेक्स के जरिये हुए इलाज में इस मरीज का पांच बार प्लाज्मा बदलने की जरूरत पड़ी, जबकि आमतौर पर तीन बार बदलने से ही परिणाम आ जाते हैं। अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। अस्पताल इस तकनीक से अब तक दस मरीजों का सफल उपचार कर चुका है।

    बेहद गंभीर थी मरीज की स्थिति

    अस्पताल के मुताबिक, 52 वर्षीय पुरुष को दो सप्ताह पहले पीलिया के लक्षणों के साथ दाखिल किया गया था। मरीज की सोचने समझने की शक्ति भी चली गई थी। मरीज के पेट में पानी भी एकत्रित होने लगा था और किडनी भी प्रभावित होने लगी थी। मरीज के हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित होने के साथ ही लिवर की गंभीर बीमारी होने के कारण लिवर फेल होने की भी स्थिति बन गई थी। अन्य कई जांचों के बाद मरीज की डायलिसिस शुरू हुई और उसे लिवर प्रत्यारोपण का सुझाव दिया गया था, क्योंकि मरीज की कई प्रकार की जांचों के अनुसार उसकी एक माह तक जीवित रहने की संभावना करीब 50 प्रतिशत ही रह गई थी।

    ऐसे किया गया उपचार

    अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलाजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट डा. पीयूष रंजन ने बताया कि मरीज के परिवार में कोई लिवर डोनर नहीं था। ऐसे में उसे प्लेक्स का सुझाव दिया गया। उसमें पांच बार प्लेक्स किया गया, लेकिन दूसरी बार प्लेक्स करने से ही मरीज के पीलिया में सुधार होने लगा और उनकी चेतना में सुधार हुआ। इसके साथ ही किडनी भी पहले से बेहतर कार्य करने लगी।

    मरीज को अन्य उपचारों के साथ हेपेटाइटिस-बी के लिए एंटी वायरल थैरेपी भी दी गई। डा. रंजन ने बताया कि अस्पताल में भर्ती होने के 20 दिनों के बाद मरीज को अच्छी स्थिति में छुट्टी दे दी गई। एक माह की कड़ी निगरानी के बाद मरीज के पेट में एकत्रित पानी भी पूरी तरह खत्म हो गया। इतना ही नहीं, पीलिया भी ठीक हो गया।

    क्या है प्लेक्स?

    प्लाज्मा में बहुत सारे जहरीले तत्व होते हैं जो लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं। प्लेक्स यानी प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी में मरीज के शरीर से खून निकाल दिया जाता है और मशीन में सेंट्रीफ्यूगेशन तकनीक के जरिये लाल रक्त कणिकाओं (आरबीसी), श्वेत रक्त कणिकाओं (डब्ल्यूबीसी) और प्लेटलेट्स को प्लाज्मा से अलग कर दिया जाता है।

    मरीज के शरीर से निकले इस प्लाज्मा को हटा दिया जाता है और ताजा प्लाज्मा और एल्ब्यूमिन में उसके शरीर से निकाले गए आरबीसी, डब्ल्यूबीसी और प्लेटलेट्स मिलाकर यह खून फिर से मरीज को चढ़ा दिया जाता है। डा. पीयूष रंजन ने बताया कि जो मरीज लिवर प्रत्यारोपण की स्थिति में पहुंच चुके हैं, उनमें प्लेक्स का इस्तेमाल सफलतापूर्वक किया जा रहा है।