Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Delhi News: दिल्ली के अस्पताल में भर्ती मरीज ने उठाया आत्मघाती कदम, चौथी मंजिल से कूदकर मरीज ने दी जान

    By Sonu Rana Edited By: Geetarjun
    Updated: Sat, 05 Oct 2024 11:34 PM (IST)

    दिल्ली के द्वारका स्थित तारक अस्पताल से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। शुक्रवार रात को 63 वर्षीय एक बुजुर्ग मरीज ने अस्पताल की चौथी मंजिल से कूदकर जान दे दी। मृतक की पहचान मोहन गार्डन निवासी जय सिंह रावत के रूप में हुई है। प्रारंभिक जांच में यह मामला आत्महत्या का लग रहा है। पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के बाद शव स्वजन को सौंप दिया है।

    Hero Image
    अस्पताल की चौथी मंजिल से कूदकर मरीज ने दी जान।

    जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। द्वारका के तारक अस्पताल की चौथी मंजिल से कूदकर शुक्रवार रात को 63 वर्षीय बुजुर्ग मरीज ने जान दे दी। मरीज की पहचान मोहन गार्डन के जय सिंह रावत के रूप में हुई है। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रारंभिक जांच में यह मामला आत्महत्या का लग रहा है। पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के बाद शव स्वजन को सौंप दिया है। पुलिस मामले में आगे की कार्रवाई कर रही है।

    स्कूल में करते थे काम

    पुलिस अधिकारी ने बताया कि मोहन गार्डन थाना पुलिस को शुक्रवार रात को जानकारी मिली कि अस्पताल में भर्ती मरीज ने ऊपर से कूदकर आत्महत्या कर ली है। पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे तो पता चला कि जय सिंह रावत स्कूल में काम करते थे।

    तीन साल पहले हुए रिटायर

    तीन वर्ष पहले ही वह सेवानिवृत्त हुए थे और काफी समय से बीमार चल रहे थे। पहले भी उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। 28 सितंबर को उन्हें बुखार के साथ-साथ सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। इस वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। यहां पर दो-तीन दिनों तक उन्हें आइसीयू में रखा गया था।

    अस्पताल में पत्नी रहती थी साथ

    इसके बाद उन्हें कमरे में शिफ्ट कर दिया गया था। यहां पर उनका इलाज चल रहा था। अस्पताल में उनकी पत्नी भी उनकी देखभाल कर रही थी। रात को करीब आठ बजे वह चौथी मंजिल पर गए और कथित तौर पर वहां से कूद गए, जिससे उनकी मौत हो गई।

    उनके स्वजन की ओर से अभी तक किसी भी तरह की गड़बड़ी का आरोप नहीं लगाया गया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि सरकारी कर्मचारी होने की वजह से उनका इलाज कैशलेस चल रहा था।