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    उज्बेकिस्तान की महिला को बेटी संग वतन वापसी की मिली इजाजत, याचिकाकर्ता के सामने रखी कई शर्तें

    By Ritika Mishra Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Wed, 18 Jun 2025 03:57 PM (IST)

    पटियाला हाउस सेशन कोर्ट ने उज्बेकिस्तान की नागरिक मखबूबा रहमानोवा को अपनी नाबालिग बेटी के साथ तीन सप्ताह के लिए वतन लौटने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने यात्रा की तारीख टिकट और वीजा जमा कराने के साथ एक लाख की एफडीआर और जमानत राशि भी जमा कराने का आदेश दिया है।

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    कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए यह फैसला सुनाया। फाइल फोटो

    रितिका मिश्रा, नई दिल्ली। पटियाला हाउस सेशन कोर्ट ने एक अहम फैसले में उज्बेकिस्तान की नागरिक मखबूबा रहमानोवा को अपनी नाबालिग बेटी के साथ तीन हफ्ते के लिए अपने देश लौटने की सशर्त अनुमति दे दी है। कोर्ट ने यात्रा अनुरोध खारिज करने के निचली अदालत के आदेश को पलटते हुए यह अनुमति दी है।

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    कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने याचिका खारिज करते समय न तो मानवीय दृष्टिकोण अपनाया और न ही पहले के आचरण का उचित मूल्यांकन किया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल अहलावत ने कहा कि 12 साल की बच्ची को अकेले अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, खासकर तब जब वह अपनी मातृभाषा में ही संवाद कर सकती है।

    कोर्ट ने कहा कि बच्ची की शिक्षा और सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, भले ही वह विदेशी नागरिक ही क्यों न हो। कोर्ट ने सशर्त अनुमति देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को एक लाख की सावधि जमा रसीद (एफडीआर) और एक लाख रुपये की जमानत देनी होगी। साथ ही यात्रा की तारीख, टिकट, वीजा और विदेश में रहने का पता कोर्ट में जमा कराना होगा।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि मखबूबा को विदेश से लौटने के 22वें दिन अनिवार्य रूप से कोर्ट में पेश होना होगा। अगर वह तय अवधि में वापस नहीं लौटती हैं तो उनकी जमानत राशि जब्त कर ली जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता मेडिकल या अन्य आधार पर विदेश में रहने के लिए समय बढ़ाने की मांग नहीं कर सकता।

    कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पासपोर्ट की रंगीन कॉपी रखने के बाद मूल पासपोर्ट याचिकाकर्ता को सौंप दिया जाए और आदेश की एक कॉपी संबंधित अधिकारियों को भेजी जाए। मखबूबा रहमानोवा वर्ष 2022 में दर्ज एक आपराधिक मामले में मुकदमे का सामना कर रही हैं।

    उन्होंने अदालत में याचिका दायर कर अनुमति मांगी थी कि वह अपनी 21 वर्षीय बेटी समीरा रहमानोवा को वापस उज्बेकिस्तान ले जाना चाहती हैं और उसका स्कूल में दाखिला करवाना चाहती हैं, क्योंकि उनकी बेटी का भारत का वीजा 21 अगस्त 2025 को समाप्त हो रहा है।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने तर्क दिया कि मखबूबा को पहले भी यात्रा की अनुमति दी गई थी और उन्होंने निर्धारित अवधि के भीतर भारत लौटकर अदालत का भरोसा नहीं तोड़ा है। अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता ने पहले दी गई छूट का दुरुपयोग नहीं किया और समय पर भारत लौट आई थी।

    मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने याचिका पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि यह याचिका अस्थायी आदेश के खिलाफ दायर की गई है और मखबूबा देश छोड़कर भाग सकती हैं।