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    Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन विधेयक से कब्जाधारियों को दिक्कत, मुस्लिम समुदाय का यह वर्ग खुश

    By Jagran News Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Thu, 27 Mar 2025 07:00 AM (IST)

    वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर मुस्लिम समुदाय में मतभेद है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठन इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन पसमांदा मुसलमान इसे ऐतिहासिक पहल बताते हुए समर्थन कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने वालों की नींव हिल जाएगी और शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार और आर्थिक सहायता जैसे मामलों में मदद मिलेगी।

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    वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर मुस्लिम समुदाय में मतभेद है। फाइल फोटो

     नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भले ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों ने केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ गठबंधन दलों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, लेकिन मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग पसमांदा समाज इस संशोधन को ऐतिहासिक पहल बताते हुए इसके समर्थन में जागरूकता अभियान चला रहा है।

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    वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा

    उनके अनुसार, संशोधन से उन ऊंची जाति के लोगों की नींव हिल जाएगी जिन्होंने वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा कर रखा है। इसीलिए वे विरोध कर रहे हैं और मुस्लिम समुदाय को गुमराह कर रहे हैं। पसमांदा समुदाय का मानना ​​है कि संशोधन से वक्फ संपत्तियों का बेहतर रखरखाव होगा और शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आर्थिक सहायता जैसे मामलों में यह मददगार साबित होगा।

    पसमांदा समुदाय खुश

    इससे समाज में सुधार आएगा। पसमांदा समुदाय वक्फ बोर्ड में अन्य धर्मों के लोगों को शामिल करने और महिलाओं की मौजूदगी का समर्थन करते हुए अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहा है। इन मांगों को जेपीसी में रखा गया है। पसमांदा समुदाय देश की कुल मुस्लिम आबादी का करीब 80 फीसदी है, जो पिछड़े, अनुसूचित और आदिवासी समुदायों से है।

    उनके मुताबिक, संशोधन से वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने वाले अशराफ (अगड़ी) जाति के प्रभुत्व वाले बड़े मुस्लिम संगठनों की नींव हिलने वाली है, इसलिए वे इसका विरोध कर रहे हैं और मुस्लिम समुदाय को गुमराह कर रहे हैं। पसमांदा समुदाय के लोग खुद को भारत का वंशज बताते हैं और मुस्लिम आबादी में 20 फीसदी अशराफ भी विदेशी आक्रांताओं की ही संतान हैं।

    उनके मुताबिक, इस बार हालात सीएए जैसे नहीं हैं। मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग अब गुमराह होने वाला नहीं है, बल्कि वह संशोधन के साथ मजबूती से खड़ा है। इसी क्रम में विभिन्न राज्यों में पसमांदा संगठनों और बुद्धिजीवियों द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, जो ईद के बाद और जोर पकड़ेंगे।

    अधिक संपत्तियों पर अशरफ समुदाय का कब्जा

    नेशनलिस्ट मुस्लिम पसमांदा महाज के अध्यक्ष और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष आतिफ रशीद के अनुसार, वक्फ बोर्ड की स्थापना विधवाओं, गरीबों और अनाथों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए की गई थी, लेकिन हो इसके विपरीत रहा है। हैदराबाद जैसे शहरों में 90 प्रतिशत से अधिक संपत्तियों पर अशरफ समुदाय के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनके करीबी लोगों का कब्जा है। वे कैसे कब्जा छोड़ना चाहेंगे?

    जमीयत और जमात-ए-इस्लामी जैसे दूसरे धार्मिक संगठनों का भी यही हाल है। स्थिति यह है कि वक्फ बोर्ड में पसमांदा समुदाय का प्रतिनिधित्व तक नहीं है। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज हनीफ तंज कसते हुए कहते हैं कि मुसलमानों का ठेका ओवैसी और मदनी जैसे लोगों को किसने दिया है, जो एनडीए के घटक दलों के बहिष्कार की बात कर रहे हैं? मुस्लिम समुदाय संशोधन के साथ है।

    विधेयक से पसमांदा समुदाय में होगा सुधार

    इस विधेयक से पसमांदा समुदाय के जीवन स्तर में सुधार आएगा। हालांकि, वक्फ बोर्ड के सदस्यों की कुछ आपत्तियां हैं, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए। ऑल इंडिया यूनाइटेड फ्रंट के प्रवक्ता और पसमांदा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले हाफिज गुलाम सरवर कहते हैं कि वे इस बदलाव के पक्ष में हैं, क्योंकि संशोधन का असली फायदा उनके समुदाय को मिलेगा।

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