जानें, कैसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करते थे 'भारतीय'
मौलाना रमजान राजस्थान के रहने वाले पाकिस्तान जाने के इच्छुक लोगों के लिए पाक उच्चायोग के स्टाफर महमूद अख्तर से मिलकर वीजा बनवाता था।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए जासूसी करने के आरोप में आम नागरिकों के अलावा सेना के जवानों के पकड़े जाने से देश की सुरक्षा एजेंसियां हैरान हैं। करीब 11 महीने पहले क्राइम ब्रांच ने आइएसआइ के लिए जासूसी करने के आरोप में एक के बाद पांच जासूसों को गिरफ्तार किया था।
जांच में पता चला था कि वे लोग पैसों के कारण देश की सुरक्षा दांव पर रखकर गोपनीय सूचना लीक कर रहे थे। 1 पहली बार भारतीय सेना के जवानों व आम लोगों द्वारा दुश्मन देश पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का मामला सामने आया था।
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गिरफ्तार किए गए पांचों आरोपी जम्मू-कश्मीर के रहने वाले थे, लिहाजा उस गिरोह को कश्मीर मॉड्यूल नाम दिया गया था। राजस्थान निवासी दो लोगों के जासूसी के आरोप में पकड़े जाने पर सुरक्षा एजेंसियां मान रही हैं कि पाकिस्तानी सीमा से सटे राज्यों में जासूसों की संख्या काफी हो सकती है, जिसे राजस्थान मॉड्यूल नाम दिया गया है।
गिरफ्तार आरोपी मौलाना रमजान व सुभाष जांगिड़ से पूछताछ में कई जासूसों के बारे में पता लग सकता है। अब तक की जांच में पता चला है कि ये लोग पैसों के कारण जासूसी कर रहे थे।
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सूत्रों की मानें तो मौलाना रमजान राजस्थान के रहने वाले पाकिस्तान जाने के इच्छुक लोगों के लिए पाक उच्चायोग के स्टाफर महमूद अख्तर से मिलकर वीजा बनवाता था। इस धंधे में उसे जो कमीशन मिलता था उसका कुछ हिस्सा अख्तर को देता था।
कई साल तक इस धंधे से जुड़े होने के कारण जब दोनों में अच्छी जानपहचान हो गई तब अख्तर ने रमजान से कहा कि वह उसके लिए कोई काम कर दे। उसने रमजान से कहा कि वह ऐसे इलाके में रहता है, जहां सेना व बीएसएफ की अच्छी मौजूदगी है।
मुस्लिम समुदाय के जवान अगर कोई गोपनीय सूचना दे सकते हैं तो उनसे डील करने के बाद वह उसकी मुलाकात करवा दे। बदले में जवानों के अलावा उसे भी मोटी रकम मिलेगी। इसी के तहत रमजान जब सेना व बीएसएफ से संबंधित गोपनीय जानकारी व दस्तावेज लेकर दिल्ली आया तब उसे एक अन्य साथी के साथ दबोच लिया गया।
गौरतलब है कि गत वर्ष दिसंबर में क्राइम ब्रांच ने मुनावर अहमद मीर को जम्मू से गिरफ्तार किया था। मुनावर भारतीय सेना में जम्मू सहित देश के अन्य हिस्सों में तैनात रह चुका था। वह वर्ष 1995 में सेना में भर्ती हुआ था और वर्ष 2011 में सेवानिवृत हुआ था।
हनी ट्रैप के जरिए अफसरों को फंसाने की साजिश
बताया जा रहा है कि ये लोग ना सिर्फ वीजा के लिए आने वालों को जासूसी के जाल में फांसते थे, बल्कि हनी ट्रैप कर अफसरों और अहम पदों पर बैठे लोगों से जानकारियां जुटाते थे। इनमें सरहद से लेकर सुरक्षा ठिकानों की सीक्रेट जानकारी शामिल है।
धन और धर्म के नाम पर बनाया था नेटवर्क
महमूद अख्तर तो पाक उच्चायोग का ऐसा मोहरा था, जो वीजा विभाग में बैठ कर जासूसी नेटवर्क को फैला रहा था। वो धर्म का इस्तेमाल कर ब्रेनवाश भी करता था, पैसे भी देता था। पाक उच्चायोग का जासूस महमूद अख्तर जासूसी के लिए 2 हजार से 2 लाख तक बांटता था।
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