Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Painter Mamta Devi: कोरोना संकट में मधुबनी चित्रकारी बनी 50 परिवारों के रोजगार का जरिया

    By Mangal YadavEdited By:
    Updated: Sun, 19 Jul 2020 02:52 PM (IST)

    ममता देवी ने मधुबनी चित्रकारी को आगे बढ़ाने के लिए आस-पास की 50 से अधिक महिलाओं को चित्रकारी के गुर सिखाए हैं।

    Painter Mamta Devi: कोरोना संकट में मधुबनी चित्रकारी बनी 50 परिवारों के रोजगार का जरिया

    नई दिल्ली [गौरव बाजपेई]। सच है विपत्ति जब आती है कायर को ही दहलाती है, सूरमा नहीं विचलित होते क्षण एक नहीं धीरज खोते, राष्ट्रकवि दिनकर की यह पंक्तियां किसी भी आपदा में हिम्मत बनाए रखने का हौसला देती हैं। कुछ ऐसा ही हौसला दिखाया मधुबनी चित्रकारी में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त ममता देवी ने।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लॉकडाउन में जब सभी रोजगार के रास्ते बंद थे तो उन्होंने चित्रकारी के जरिये अपने साथ-साथ 50 अन्य परिवारों के लिए भी रोजगार के रास्ते बनाए। ममता देवी कपड़े के मास्क बनाकर उनपर परंपरागत मधुबनी चित्रकारी करती हैं और उन्हें बाजार में बेचने की व्यवस्था भी करती हैं।

    तुगलकाबाद गांव में अपने परिवार के साथ रहने वाली ममता देवी करीब 20 साल पहले हस्तशिल्प का कौशल लेकर दिल्ली आईं थी। साल 2016 में उन्हें मधुबनी चित्रकारी शिल्प में उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।

    इंडियन वुमन अचीवर्स पुरस्कार से हो चुकी हैं सम्मानित

    महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उनके योगदान के लिए उन्हें साल 2017 में इंडियन वुमन अचीवर्स पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने बताया कि मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद से उनके द्वारा बनाए गए चित्र बाजार बंद होने के कारण बिकना बंद हो गए थे। ऐसे में घर चलाने से लेकर अन्य खर्चे किस तरह से पूरे करने में मुश्किलें आ रही थी। इसके बाद उन्होंने आस-पास की महिलाओं को अपने समूह में जोड़ा और कपड़े के फेस मास्क बनाकर उन पर मधुबनी चित्रकारी से सुसज्जित करना शुरू कर दिया। सरकार की तरफ से फेस मास्क अनिवार्य करने के बाद से सुसज्जित मास्क की मांग बढ़ गई है।

    3 माह में बेंचे 15 हजार मास्क

    ममता देवी ने बताया कि लॉकडाउन के बाद विदेशी पर्यटक जो उनकी कलाकृतियां खरीदने के लिए आते थे वह बंद हो गया जिससे रोजगार का संकट पैदा हो गया। इसके बाद उन्होंने जमापूंजी लगाकर मास्क बनाना शरू किया और अपने 40 कलाकारों के जरिए काम शुरू कर दिया। मास्क पर बनी चित्रकारी को लोगों ने पसंद किया जिसके बाद आज उनके साथ करीब 40 चित्रकार और 15 से अधिक रंग भरने और मास्क सिलने वाली महिलाएं काम कर रही हैं। उन्होंने पिछले तीन माह में 15 हजार से भी अधिक मास्क बेचे हैं।

    ऑनलाइन मार्केट का भी साथ

    ममता देवी के बेटे अंकित झा ने बताया कि शुरुआत में बाजार खुलने के बाद दुकानों के जरिए मास्क की बिक्री की जा रही थी लेकिन मास्क की बढ़ती मांग को लेकर उन्होंने artdarshan.com नाम की वेबसाइट से मास्क लोगों तक पहुंचाने शुरू किए। मोबाइल से भी मास्क की बिक्री की जा रही है। उन्होंने बताया मास्क की कीमत 65 से लेकर 90 रुपये तक है।

    50 से अधिक परिवार हो रहे हैं लाभान्वित

    ममता देवी ने मधुबनी चित्रकारी को आगे बढ़ाने के लिए आस-पास की 50 से अधिक महिलाओं को चित्रकारी के गुर सिखाए हैं। और अब वह महिलाएं चित्रकारी कर अपने घरों के लिए रोजगार जुटा रही हैं। लॉकडाउन के दौरान जब सभी व्यवसाय रूक गए तब सभी महिलाएं कला का इस्तेमाल अपने रोजगार के लिए कर रही हैं। ममता देवी ने बताया कि केवल तुगलकाबाद ही नहीं बिहार के भी कई परिवार उनके साथ जुड़े हुए हैं और मास्क पर चित्रकारी को अपना व्यवसाय बना लिया है।

    12 साल की उम्र से शुरू की थी चित्रकारी

    बिहार के मधुबनी जिले के जितवारपुर गांव की मूलत: रहने वाली ममता देवी ने बताया कि चित्रकारी के प्रति उनका झुकाव शुरुआत से ही था। उन्होंने 12 साल की उम्र से चित्रकारी शुरू कर दी थी। उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित श्रीमति शांति देवी से चित्रकारी के गुर सीखे। इसके बाद वह विवाह कर दिल्ली आ गई और यहां आस-पास की करीब 35 महिलाओं को मधुबनी चित्रकारी में पारंगत किया।