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    दिल्ली में निर्माण श्रमिकों के मामले में बड़ी गड़बड़ी, 4.56 लाख कामगारों ने नहीं कराया रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Sun, 28 May 2023 08:36 AM (IST)

    दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार राजधानी में कुल 13 लाख 18 हजार 583 निर्माण श्रमिक पंजीकृत हैं। इनमें से आठ लाख 62 हजार 433 इस समय मौजूद हैं। 456150 ने नवीनीकरण नहीं करवाया है।

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    दिल्ली में 4.56 लाख कामगारों ने नहीं कराया रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण

    नई दिल्ली, वीके शुक्ला। श्रम विभाग द्वारा पंजीकृत किए जा रहे निर्माण श्रमिकों के मामले में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है।

    इस मामले में शुरू हुई जांच के बाद चार लाख 56 हजार 150 श्रमिकों ने अपने पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं कराया है, जबकि दिल्ली सरकार बार-बार उनसे अपील कर रही है कि वे अपना पंजीकरण कराएं और जिनका नवीनीकरण होना है, वे नवीनीकरण करा लें।

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    पंजीकरण नवीनीकरण को लेकर उठ रहे सवाल

    इसके बावजूद श्रमिकों का पंजीकरण नवीनीकरण के लिए आगे न आने से सवाल उठ रहे हैं। माना जा रहा है कि इनमें श्रमिकों के नाम पर फर्जी पंजीकरण हो सकते हैं। जांच शुरू होने के बाद दोबारा पंजीकरण नहीं करवाए जा रहे।

    दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, राजधानी में कुल 13 लाख 18 हजार 583 निर्माण श्रमिक पंजीकृत हैं। इनमें से आठ लाख 62 हजार 433 इस समय मौजूद हैं। 4,56,150 ने नवीनीकरण नहीं करवाया है।

    इसके अलावा पंजीकरण के 2,03,778 मामले लंबित हैं। 25,543 जांच के लिए लंबित हैं। इसके साथ ही 87,833 आवेदनों में कुछ कमियां थीं, जिन्हें अस्वीकार कर दिया गया है।

    इस पूरे आंकड़े में यह बात लोगों के गले नहीं उतर नहीं है कि अब ऐसा क्या हो गया है कि पंजीकरण कराने के बाद कई लोग नवीनीकरण नहीं करा रहे हैं, जबकि सरकार की ओर से इन्हें काफी सुविधाएं दी जा रही हैं।

    कुछ दिन पहले सरकार ने निर्माण श्रमिकों के लिए बस यात्रा भी मुफ्त कर दी है। इसके अलावा उनके बच्चों की पढ़ाई से लेकर शादी-ब्याह तक के लिए पैसे दिए जाते हैं।

    तीन-तीन मंजिल के मकान वालों ने भी करा लिया पंजीकरण : मुनीष गौड़

    दिल्ली के पूर्व संयुक्त श्रम आयुक्त मुनीष गौड़ भी राजधानी में निर्माण श्रमिकों की संख्या 13 लाख होने पर सवाल उठाते हैं। उनका कहना है कि निर्माण श्रमिकों की आड़ में उन लोगों ने भी पंजीकरण करा लिया है जिनके पास तीन-तीन मंजिल के मकान हैं। उनके अनुसार राजधानी में लगभग चार लाख निर्माण श्रमिक हैं, लेकिन उनका पंजीकरण नहीं है।

    वर्ष 2018 में पकड़ा गया था घपला

    उन्होंने कहा कि निर्माण श्रमिकों में लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं पंजीकृत हैं, जबकि निर्माण क्षेत्र में महिलाओं की वास्तविक संख्या इतनी नहीं है। वह कहते हैं कि वह जब नौकरी में थे, तो उनके समय में, यानी वर्ष 2018 में यह घपला पकड़ा गया था। पश्चिमी दिल्ली और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से 80 शिकायतें श्रम विभाग की ओर से भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) में भेजी गई थीं। एसीबी ने इसे स्थानीय पुलिस को सौंप दिया, लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं हुई।

    एक फैक्ट्री मालिक का भी निर्माण श्रमिक के तौर पर पंजीकरण सामने आया था। वह कहते हैं कि जो चार लाख 56 हजार श्रमिकों ने नवीनीकरण नहीं कराया है, इनमें अधिकतर फर्जी हैं। जांच शुरू होने के बाद से इनमें दहशत है, पर जांच में तेजी लाने की जरूरत है। उनके अनुसार घोटाले में कुछ कर्मचारी यूनियन वाले भी शामिल हैं।

    दो लाख से अधिक निर्माण श्रमिक के फर्जी होने का दावा

    इससे पहले दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड में संदिग्ध विसंगतियों की जांच के प्रारंभिक निष्कर्षों के तहत पिछले वर्ष नवंबर में पंजीकृत दो लाख से अधिक निर्माण श्रमिक के फर्जी होने का दावा किया गया था।

    दिल्ली सरकार के श्रम विभाग द्वारा प्रदत्त वर्ष 2018 और 2021 के बीच पंजीकृत नौ लाख से अधिक श्रमिकों के रिकार्ड की जांच से पता चला था कि उनमें 1,11,516 डुप्लीकेट प्रविष्टियां थीं, 65,000 श्रमिकों ने एक ही मोबाइल नंबर साझा किया था, 15,747 श्रमिकों ने एक ही स्थानीय आवासीय पता साझा किया, लेकिन उस पते पर नहीं थे, और 4,370 श्रमिकों ने एक ही स्थायी पता साझा किया था। बता दें कि श्रमिकों के पंजीकरण का नवीनीकरण हर साल किया जाता है।

    एलजी ने दिए थे जांच के निर्देश

    कुछ निर्माण श्रमिकों के संगठनों द्वारा की गई भ्रष्टाचार की शिकायत पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले वर्ष 26 सितंबर को मुख्य सचिव नरेश कुमार को जांच करके उसकी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। उपराज्यपाल के निर्देश के बाद ही निर्माण श्रमिकों के पंजीकरण संबंधी संख्या की जांच की गई थी।

    इससे पहले मई 2018 में दिल्ली सरकार के सतर्कता और भ्रष्टाचार-रोधी शाखा निदेशालय द्वारा दायर एक प्राथमिकी में गैर-निर्माण कर्मचारियों के ‘फर्जी और झूठे पंजीकरण’ और उन्हें 900 करोड़ रुपये के धन के फर्जी वितरण का आरोप लगाया गया था।