Hate Remarks In India: देशभर के करोड़ों मुसलमानों के लिए राजधानी दिल्ली से जारी हुआ खुला पत्र
Hate Remarks In India डा. एमजे खान ने कहा कि आधुनिक शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के विकास पर ध्यान न देने से मुस्लिम समुदाय प्रगति के अधिकांश मापदंडों में पिछड़ रहा है। हालांकि मुस्लिम महिलाओं और युवाओं में नया आत्मविश्वास आया है।

नई दिल्ली [राहुल चौहान]। भारतीय मुसलमानों के लिए आत्मनिरीक्षण और अपनी कार्यशैली को ठीक करने का यह सही समय है। भारतीय मुसलमान सामाजिक विविधता और परिपक्व लोकतंत्र में पैदा होने की वजह से भाग्यशाली हैं। असहिष्णुता या उग्रवाद की इसमें कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। यह कहना है इंडियन मुस्लिम्स फार प्रोग्रेस एंड रिफार्म्स (इंपार) के अध्यक्ष डा. एमजे खान का। उन्होंने मुस्लिम समाज के नाम खुला पत्र जारी कर ये बातें कही हैं।
डा. एमजे खान ने कहा कि दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा इस्लाम का शांति के धर्म के रूप में दावा किया जाता है। धार्मिक ग्रंथ भी स्पष्ट रूप से शांति, शिक्षा और मानवता की सेवा करने का आदेश देते हैं, लेकिन लगातार हो रही हिंसक घटनाओं से भारत में बहुसंख्यकों की मुसलमानों के बारे में नकारात्मक राय बनती जा रही है।
उन्होंने कहा कि सभ्यता की उन्नति में मुस्लिम समाज के निम्न योगदान के कारण भी हमारी छवि खराब है। उन्होंने कहा कि किसी भी समुदाय, समाज या राष्ट्र के बारे में धारणा उसके सामूहिक चरित्र, आचरण और योगदान के आधार पर बनती है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने प्राथमिक शिक्षा, सामाजिक कार्यक्रमों और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं में समुदाय की भागीदारी में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि भारतीय मुस्लिम समुदाय बहुसंस्कृतिवाद के मूल्यों और समझ के साथ विश्व के मुसलमानों को रास्ता दिखा सकता है। समुदाय को आधुनिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि तेजी से उभरते आर्थिक अवसरों का लाभ उठा सके। इससे मुस्लिम समुदाय के बारे में लोगों की धारणाओं में सकारात्मक बदलाव होगा और शांति और प्रगति का मार्ग खुलेगा।
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