Delhi High Court: सहमति से बने रिश्ते और दुष्कर्म के बीच अंतर समझना जरूरी, जानें क्या है पूरा मामला
महिला सशक्तीकरण के मौजूदा दौर में कार्यस्थल पर यौन अपराध और सहमति से बने संबंधों में अंतर करने के बिंदु पर दिल्ली हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश दिया है। बलात्कार के आरोपी को राहत देते हुए न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि बलात्कार के अपराध और दो पक्षों के बीच सहमति से बने रिश्ते में खटास के बाद दर्ज मामले के बीच अंतर किया जाना चाहिए।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। महिला सशक्तीकरण के मौजूदा दौर में कार्यस्थल पर यौन अपराध और सहमति से बने संबंधों में अंतर करने के बिंदु पर दिल्ली हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश दिया है।
बलात्कार के आरोपी को राहत देते हुए न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि बलात्कार के अपराध और दो पक्षों के बीच सहमति से बने रिश्ते में खटास के बाद दर्ज मामले के बीच अंतर किया जाना चाहिए।
ऐसे मामलों की निगरानी करें अदालत
पीठ ने कहा कि अदालतों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे मामलों की निगरानी करें ताकि वे एक समान दृष्टिकोण अपनाएं और इसका दुरुपयोग रोकें। अदालत ने कहा कि कार्यस्थल पर काम करने के दौरान पीड़िता और याचिकाकर्ता ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए और रिश्ते में खटास के कारण वर्तमान मामले में बलात्कार और मारपीट का आरोप लगाया गया है।
उपरोक्त टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने आरोपी को 35,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर जमानत पर रिहा करने की सशर्त अनुमति प्रदान की।
याचिकाकर्ता ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि वह 30 मई 2024 से न्यायिक हिरासत में है। साथ ही कहा गया कि शिकायतकर्ता एक शिक्षित महिला है और दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे तथा उनके बीच सहमति से संबंध थे।
मामले की जांच पूरी हो चुकी
साथ ही कहा गया कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है तथा आरोप पत्र भी दाखिल हो चुका है, इसलिए उसे जेल में रखने से कोई लाभ नहीं होगा। वहीं अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और वह जमानत का हकदार नहीं है।
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