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    थैलेसीमिया मुक्त भारत के लिए सबको मिलकर करना होगा प्रयास: ओम बिरला

    By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Tue, 09 May 2023 03:15 PM (IST)

    लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भविष्य में कोई बच्चा थैलेसीमिया पीड़ित पैदा न हो इसके लिए कई लोग काम कर रहे हैं लेकिन सिर्फ इससे बात नहीं बनेगी। थैलेसीमिया मुक्त भारत तभी होगा जब सभी मिलकर एक साथ प्रयास करेंगे।

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    थैलेसीमिया मुक्त भारत के लिए सबको मिलकर करना होगा प्रयास: ओम बिरला

    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। रक्त विकार की बीमारी थैलेसीमिया पर गंगाराम अस्पताल में आयोजित एक कार्यक्रम में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भविष्य में कोई बच्चा थैलेसीमिया पीड़ित पैदा न हो इसके लिए कई लोग काम कर रहे हैं, लेकिन सिर्फ इससे बात नहीं बनेगी।

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    सभी जनप्रतिनिधियों को भी थैलेसीमिया जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। थैलेसीमिया मुक्त भारत तभी होगा जब सभी मिलकर एक साथ प्रयास करेंगे। इसके लिए राज्य सरकारों से बातचीत कर एक ठोस कार्यक्रम बनाना होगा। इसके तहत शादी से पहले और शादी के बाद स्क्रीनिंग का प्राविधान होना चाहिए।

    गंगाराम अस्पताल में अब तक 50 हजार बच्चों ने लिया जन्म

    उन्होंने कहा कि गंगाराम अस्पताल में अब तक 50 हजार बच्चों ने जन्म लिया है। इनमें से एक भी थैलेसीमिया पीड़ित नहीं है। यह सही समय पर स्क्रीनिंग से ही संभव हो सका है।

    जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सभी प्रयासों के बावजूद थैलेसीमिया के रोकथाम के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जा सके हैं। इसलिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है। ताकि समाज के हर व्यक्ति को जागरूक किया जा सके। उम्मीद है कि थैलेसीमिया और रक्त विकार की अन्य बीमारियों पर लोक सभाध्यक्ष सदन में चर्चा कराएंगे।

    हर वर्ष करीब 10 हजार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे लेते हैं जन्म

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि देश में हर वर्ष करीब दस हजार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे जन्म लेते हैं, लेकिन राज्यवार आंकड़े नहीं है। तमिलनाडु के स्क्रीनिंग कार्यक्रम को दूसरे राज्य भी फालो कर सकते हैं। राज्यवार आंकड़े तैयार करने की कोशिश की जा रही है। इलाज की सुविधाओं को और बेहतर बनाएं जाने की जरूरत है।

    नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया के लिए एक कार्यक्रम तैयार किया गया है। इसके तहत देश भर में नौ करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी‌। खास तौर पर ट्राइवल एरिया में 27 वर्ष की उम्र तक के हर व्यक्ति की स्क्रीनिंग होगी। थैलेसीमिया के लिए एक अलग कार्यक्रम तैयार किया जाएगा।

    कार्यक्रम में मौजूद डाक्टरों ने कहा कि स्क्रीनिंग के अभाव में दिल्ली एनसीआर में भी थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे जन्म ले रहे हैं। इसलिए इस बीमारी की रोकथाम पर ध्यान देना होगा। इससे इलाज का खर्च कम होगा। इसलिए स्क्रीनिंग जरूरी है।

    वहीं, गंगाराम अस्पताल बोर्ड प्रबंधन के चेयरमैन डॉ. अजय स्वरूप ने कहा कि अस्पताल में एक दिन निशुल्क थैलेसीमिया क्लीनिक चलता है। अस्पताल में थैलेसीमिया के पंजीकृत 98 मरीज 18 वर्ष से अधिक हो चुके हैं। 26 मरीजों की शादी हो चुकी हैं और वे सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

    जीटीबी अस्पताल के डाक्टर ने कहा कि पूर्वी दिल्ली में 2.5 से प्रतिशत गर्भवती महिलाएं पाज़िटिव आती हैं। अब तक एक लाख गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग जीटीबी अस्पताल में हो चुकी है। जिसके बाद 60 गर्भपात कराया गया है। यदि पति पत्नी दोनों कैरियर हों तो 25 प्रतिशत संभावना होती है कि बच्चा थैलेसीमिया पीड़ित होगा।

    स्क्रीनिंग में दिक्कत यह होती है कि कई बार लोग स्क्रीनिंग के लिए तैयार नहीं होते। देश में अब भी दस हजार बच्चे थैलेसीमिया के साथ जन्म लेते हैं। दिल्ली में एम्स सहित दो ही सरकारी अस्पतालों में जेनेटिक जांच होती हैं। इस वजह से सैंपल एम्स में भेजना पड़ता है।