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    राव कोचिंग हादसा: एक साल बीत जाने के बाद भी न तो न्याय पूरा हुआ और न ही जवाबदेही तय हो पाई

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 07:27 PM (IST)

    दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में एक साल पहले राव आईएएस कोचिंग सेंटर में हुए हादसे में तीन छात्रों की जान चली गई थी। सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि कोचिंग सेंटर और कुछ अधिकारियों की लापरवाही के चलते यह हादसा हुआ। आरोपपत्र में कई खामियां उजागर हुईं लेकिन पीड़ितों के परिवारों को अभी भी न्याय का इंतजार है।

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    राव कोचिंग हादसा: एक साल बाद भी जवाबदेही तय नहीं।

    रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। पिछले वर्ष 27 जुलाई को भारी बारिश के बाद ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राव आइएएस स्टडी सर्कल के बेसमेंट में पानी भरने से तीन यूपीएससी अभ्यर्थियों की मौत हो गई थी। घटना को एक वर्ष बीत जाने के बावजूद न तो न्याय पूरा हुआ और न ही जवाबदेही तय हो पाई। इस बीच, सीबीआई के आरोपपत्र और कोर्ट कार्यवाही ने कोचिंग संस्थानों की लापरवाहियों और सुरक्षा इंतजामों को लेकर कई सवाल खड़े किए थे।

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    सीबीआई की ओर से दायर 71 पन्नों की पूरक आरोपपत्र में बताया गया है कि दिल्ली नगर निगम और डीएफएस (दिल्ली फायर सर्विस) के अधिकारियों ने कम से कम तीन बार परिसर का निरीक्षण किया, लेकिन बेसमेंट के अवैध उपयोग को नजरअंदाज किया। आरोपपत्र के मुताबिक, अधिकारियों ने संभवत अनुचित लाभ की उम्मीद में इस सच्चाई को छुपाया।

    राव कोचिंग के सीईओ अभिषेक गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने सलाहकार अशोक नारंग को डीएफएस और निगम अधिकारियों से सेटिंग करने के लिए नियुक्त किया, जिससे जल्दबाजी में फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट प्राप्त किया जा सके। डीएफएस अधिकारियों ने जनवरी और जुलाई 2024 में दो निरीक्षण किए। जनवरी में जहां 11 खामियां मिलीं, वहीं एक जुलाई को सब कुछ ठीक बताया गया, जबकि 26 दिन बाद ही हादसा हो गया।

    घटना के बाद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी, जिसे बाद में सीबीआइ को सौंपा गया। सितंबर 2024 में सीबीआइ ने कोचिंग संस्थान के सीईओ अभिषेक गुप्ता, समन्वयक देशपाल सिंह और बेसमेंट के चार सह-मालिकों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। आरोप लगाया कि बेसमेंट में बिना सुरक्षा प्रबंधों के कोचिंग चलाई जा रही थी। आरोपपत्र में उन्हें गैर इरादतन हत्या, लापरवाही और अन्य प्रविधानों के तहत अभियुक्त बनाया गया।

    सीबीआइ ने यह भी बताया कि डीएफएस अधिकारी एडीओ उदय वीर और अशोक नारंग के बीच इस अवधि में 57 बार फोन पर बात हुई, जो मिलीभगत की ओर इशारा करता है। निगम इंजीनियर अर्णव दत्ता पर भी जानबूझकर रिपोर्ट नहीं करने का आरोप है।

    आरोपपत्र में यह भी उजागर हुआ कि जिस जल निकासी व्यवस्था के कारण बेसमेंट में पानी भरा, वह अब भी वर्ष 1976 के मास्टर प्लान पर आधारित है और कभी अपग्रेड नहीं किया गया।

    राव कोचिंग सीईओ अभिषेक गुप्ता को ट्रायल कोर्ट ने सितंबर 2024 में अंतरिम जमानत दी थी, जबकि चार सह-मालिकों को दिल्ली हाई कोर्ट ने जनवरी 2025 में नियमित जमानत दी। कोर्ट ने पांच लाख रुपए दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करने की शर्त भी लगाई थी। मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में ट्रायल जारी है। वहीं, इस बीच मामले में हाई कोर्ट ने अभिषेक गुप्ता को सीबीआइ द्वारा जब्त की गई फाइनेंशियल फाइलें देखने की इजाजत दी है।

    हादसे में मृतक केरल के नेविन डेलविन, उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव और हैदराबाद की तान्या के परिवार आज भी न्याय की राह देख रहे हैं। नेविन की मां ने कहा, एक साल हो गया लेकिन हमें अब भी जवाब नहीं मिला कि हमारे बेटे की मौत कैसे हुई। उन्होंने कहा कि बच्चे की मौत के लिए वो किसी एक व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं मानती है।

    उन्होंने कहा कि ये मौत से ज्यादा एक दुखद घटना है जिसका शिकार उनका बेटा बना। इस घटना के लिए एक व्यक्ति से ज्यादा कई एजेंसियां और सरकार भी जिम्मेदार है। नेविन के स्वजनों का कहना है कि न्याय की राह अब भी अधूरी है पर उन्हें उम्मीद है कि देर से ही सही पर उन्हें न्याय जरूर मिलेगा।