राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय को विश्वविद्यालय बनाने की तैयारी, जल्द आएगा प्रस्ताव; सीटों की संख्या भी बढ़ेगी
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) अब विश्वविद्यालय बनेगा। संस्कृति मंत्रालय सीटों की संख्या 100 से बढ़ाकर 1000 करने की योजना बना रहा है जिससे रंगमंच में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं को अधिक अवसर मिलेंगे। एनएसडी को विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा जाएगा। हर राज्य में एनएसडी सेंटर खोलने का भी प्रस्ताव है जिससे क्षेत्रीय कलाओं को बढ़ावा मिलेगा।

शशि ठाकुर, नई दिल्ली। रंगमंच के जरिये अपनी दुनिया बदलने का सपना देख रहे युवाओं के लिए अच्छी खबर है। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का जल्द स्वरूप बदलने वाला है। संस्कृति मंत्रालय इसे विश्वविद्यालय बनाने की तैयारी कर रहा है। इसकी सीटों की संख्या भी बढ़ाकर 100 से एक हजार की जाएंगी। ऐसे में रंगमंच की दुनिया में आने वाले युवाओं को अधिक मौके मिलेंगे। मंत्रालय की इस योजना से युवाओं के लिए एनएसडी में प्रवेश के नए अवसर खुलेंगे।
एनएसडी में आयोजित ग्रीष्मकालीन समारोह के समापन पर संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल ने इसकी औपचारिक घोषणा करते हुए बताया कि एनएसडी को विश्वविद्यालय का दर्जा देने का प्रस्ताव तैयार है और इसे जल्द ही मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा। यह बदलाव न केवल संस्थान की पहचान को नया स्वरूप देगा बल्कि रंगमंच को भी एक अकादमिक ऊंचाई प्रदान करेगा।
हर केंद्र के पास केवल 20- 20 सीटें उपलब्ध
वर्तमान में एनएसडी के पास देशभर में दिल्ली के अलावा वाराणसी, बेंगलुरु, अगरतला और गंगटोक में चार क्षेत्रीय केंद्र हैं और हर केंद्र के पास केवल 20- 20 सीटें उपलब्ध हैं। यानी सीटों के हिसाब से हर वर्ष केवल 100 छात्रों को ही अभिनय की दुनिया में प्रवेश मिल पाता है। लेकिन, अब यह सीमाएं टूटने वाली हैं।
इन सीटों को बढ़ाकर 1000 किया जाएगा
संस्कृति मंत्रालय के सचिव ने बताया कि इन सीटों को बढ़ाकर 1000 किया जाएगा। जिससे ज्यादा से ज्यादा युवा अपनी अभिनय प्रतिभा को तराश सकें। इसके अलावा उन्होंने कहा कि रंगमंच के प्रति ग्रामीण युवाओं को जागरूक करने और उनकी प्रतिभा को निखारने में एनएसडी से अभिनय की शिक्षा लेकर निकलने वाला प्रत्येक छात्र- छात्रा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।
हर राज्य में एक सेंटर खोलने का प्रस्ताव
इतना ही नहीं अब हर राज्य में एनएसडी का एक सेंटर खोलने का भी प्रस्ताव तैयार किया गया है। प्रत्येक राज्य में एनएसडी के सेंटर खुलने से रंगमंच की रोशनी दिल्ली के अलावा गांव- कस्बों तक पहुंचेगी। इससे क्षेत्रीय रंगकलाएं, लोक नाट्य और विविध भाषाओं की परंपराएं फिर से मंच पर जीवित हो सकेंगी। एनएसडी का विश्वविद्यालय के रूप में परिवर्तन होना एक नई रंगयात्रा की शुरुआत होगी और मंच पर हर सपना अपने रंग पाएगा।
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