Yamuna River Pollution: अब यमुना में नहीं डाल सकेंगे कूड़ा, दिल्ली में नदी की सुरक्षा करेगी सेना
दिल्ली में यमुना नदी की सफाई एक बड़ी चुनौती है। भाजपा सरकार ने इसे साफ और निर्मल बनाने का वादा किया है। नदी की सुरक्षा के लिए सेना की मदद ली जाएगी। इको टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। 2023 की शुरुआत में प्रादेशिक सेना (टीए) की तैनाती की जाएगी। यमुना को स्वच्छ और अविरल बनाने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में यमुना की सफाई बड़ा मुद्दा है। दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यमुना की सफाई और अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट की तरह इसे विकसित करने का वादा किया था। चुनाव जीतते ही भाजपा ने यमुना की सफाई का काम शुरू कर दिया है। तीन साल में इसे साफ और निर्मल बनाने का लक्ष्य है।
राजधानी में यमुना की सुरक्षा के लिए दिल्ली सरकार सेना की भी मदद लेने जा रही है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। सेना की मदद से दिल्ली में इको टास्क फोर्स (ईटीएफ) का गठन किया जाएगा।
नदी की सुरक्षा बड़ा मुद्दा
दिल्ली के जल, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री प्रवेश वर्मा का कहना है कि भाजपा सरकार अपने वादे के मुताबिक, यमुना को निर्मल और अविरल बनाएगी। नदी की सुरक्षा भी बड़ा मुद्दा है। यमुना के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण और खनन माफिया को रोकना जरूरी है।
औद्योगिक कचरा, कूड़ा और मलबा डालकर नदी को प्रदूषित करने वालों को भी रोकना होगा। इसके लिए दिल्ली सरकार ने सेना की मदद लेने का फैसला किया है। सेना की मदद से इको टास्क फोर्स बनाई जाएगी, जिसका प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है। जल्द ही इस योजना के मूर्त रूप लेने की संभावना है।
2023 की शुरुआत में टीए की तैनाती
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा दिल्ली में यमुना की सफाई को बढ़ावा देने के लिए 2023 की शुरुआत में प्रादेशिक सेना (टीए) की तैनाती की गई थी। कुछ महीनों बाद इसे वापस बुला लिया गया था।
उस समय अधिकारियों ने बताया था कि यमुना और नजफगढ़ नाले की निगरानी के लिए प्रादेशिक सेना की बटालियन गठित करने का प्रस्ताव था। बाद में दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से इस दिशा में कोई उचित कदम नहीं उठाए गए, जिसके कारण योजना आगे नहीं बढ़ सकी।
अब भाजपा सरकार बनने के बाद इस दिशा में काम शुरू हो गया है। जल्द ही इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के समक्ष रखा जाएगा।
दिल्ली में 22 किमी तक यमुना का हिस्सा
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज तक यमुना का 22 किलोमीटर का हिस्सा है। यह यमुना की कुल लंबाई का दो प्रतिशत से भी कम है, लेकिन नदी में होने वाले कुल प्रदूषण का करीब 80 प्रतिशत इसी क्षेत्र में होता है।
अनियोजित विकास व अतिक्रमण, प्रदूषण व सीवर गिरने के कारण यह लगभग मृतप्राय हो गई है, जिसके कारण दिल्लीवासियों को पेयजल संकट व स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यमुना को स्वच्छ व अविरल बनाने का वादा सभी पार्टियां करती रही हैं।
1990 से अब तक इस पर हजारों करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। कई योजनाएं बनीं, लेकिन न तो यमुना साफ हुई और न ही अतिक्रमण रुका। दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने के बाद समस्या के समाधान की दिशा में काम शुरू हुआ है और केंद्र सरकार के सहयोग से रोडमैप तैयार किया गया है।
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