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    शरीर में जहर घोलने के लिए एकमात्र कारण वायु प्रदूषण नहीं, विशेषज्ञों ने खोला राज; यह उससे भी ज्यादा खतरनाक

    By Rajesh KumarEdited By: Rajesh Kumar
    Updated: Fri, 28 Feb 2025 06:44 PM (IST)

    वायुमंडल की ऊंचाई हो या समुद्र की गहराई- मिट्टी और पेड़ों से लेकर निर्जन इलाकों तक- हर जगह इनकी पहुंच हो गई है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की ओर से अनिल अग्रवाल पर्यावरण प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक पर्यावरण सम्मेलन में पर्यावरण में रसायन विषय पर विशेष सत्र में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। यह तथ्य मनुष्यों के लिए जानलेवा हो सकता है।

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    हवा ही नहीं रासायनिक प्रदूषण भी शरीर को विषाक्त कर रहा है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नीमली (अलवर)। देश-दुनिया में हवा ही नहीं, रासायनिक प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है। इससे कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है। हालात ये हैं कि मानव निर्मित रसायन न सिर्फ 'हमेशा के लिए' बल्कि अब 'हर जगह' प्रदूषक बन गए हैं।

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    वायुमंडल की ऊंचाई हो या समुद्र की गहराई- मिट्टी और पेड़ों से लेकर निर्जन इलाकों तक- हर जगह इनकी पहुंच हो गई है।

    सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की ओर से अनिल अग्रवाल पर्यावरण प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक पर्यावरण सम्मेलन में 'पर्यावरण में रसायन' विषय पर विशेष सत्र में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

    दुनिया भर में 20 लाख मौतें

    सत्र की अध्यक्षता करते हुए सीएसई विशेषज्ञ रोहिणी कृष्णमूर्ति ने कहा कि 2019 में पर्यावरण में फैले रसायनों के कारण दुनिया भर में 20 लाख मौतें हुईं। नए रसायनों के मामले में अक्सर ऐसा होता है कि हम उनके प्रभावों को पूरी तरह समझ पाते हैं, उससे पहले ही वे बाजार में उपलब्ध हो जाते हैं।

    नतीजतन, हमारे पर्यावरण में उनके द्वारा उत्पन्न जोखिमों के पैमाने और खतरे के बारे में हमारी समझ स्पष्ट नहीं हो पाती।

    160 मिलियन रसायनों के बारे में जानकारी

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मनुष्य को लगभग 160 मिलियन रसायनों के बारे में पता है। इन पदार्थों की वैश्विक सूची, केमिकल्स एब्सट्रैक्ट्स सर्विस के डेटा से पता चलता है कि दुनिया भर के देश लगभग 60,000 रसायनों का निर्माण, उपयोग और आयात कर रहे हैं, जिन्हें न तो अच्छी तरह से समझा जाता है और न ही विनियमित किया जाता है।

    भारत की पर्यावरण रिपोर्ट 2025

    भारत की पर्यावरण रिपोर्ट 2025 कहती है कि इंसानों ने "करीब 140,000 रसायनों और रसायनों के मिश्रणों का संश्लेषण किया है"। ये ऐसे रसायन हैं जो कुछ दशक पहले तक अस्तित्व में नहीं थे।

    नए रसायनों का आविष्कार और विकास अभूतपूर्व दर से हो रहा है। 2019 के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका हर साल औसतन 1,500 नए पदार्थ बनाता है।

    प्रतिवर्ष लगभग 220 बिलियन टन रसायन उत्सर्जित

    कृष्णमूर्ति के अनुसार, "स्वाभाविक रूप से, पर्यावरण में रसायनों के उत्सर्जन की दर भी बहुत अधिक है। प्रतिवर्ष लगभग 220 बिलियन टन रसायन उत्सर्जित होते हैं। वास्तव में, हम मनुष्य हर सेकंड 65 किलोग्राम कैंसर पैदा करने वाले रसायन वायुमंडल में उत्सर्जित करते हैं।"

    एक ग्राम भी घातक कीटनाशक दवा

    नई दिल्ली स्थित इम्पैक्ट एंड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के विजिटिंग सीनियर फेलो डॉ. दोंती एन रेड्डी ने कहा, "हम अपने ग्रामीण क्षेत्रों में अंधाधुंध कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं - हर साल 255,000 टन - यहां तक ​​कि एक ग्राम भी घातक है।"

    इन बीमारियों की उत्पत्ति

    कृष्णमूर्ति के अनुसार, "एक बार जब वे हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, तो सिंथेटिक रसायन सबसे पहले फेफड़ों, त्वचा और आंतों को प्रभावित करते हैं। वे रक्तप्रवाह के माध्यम से गुर्दे या प्रतिरक्षा प्रणाली जैसे अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकते हैं।

    वे व्यक्तिगत कोशिकाओं में प्रवेश कर सकते हैं और डीएनए में निर्देशों को प्रोटीन में परिवर्तित करने के तरीके को प्रभावित कर सकते हैं। रसायनों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से कैंसर, अंग क्षति, प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना, एलर्जी या अस्थमा आदि जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।"

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