NOTTO Guidelines: अंग प्रत्यारोपण और डोनर के आंकड़े ही नहीं, अब देना होगा पूरा ब्योरा; आ गया नया आदेश
Organ Transplantation राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) ने अंग प्रत्यारोपण में पारदर्शिता और निगरानी बढ़ाने के लिए नए निर्देश जारी किए हैं। अब अस्पतालों को डोनर और मरीज का सिर्फ आंकड़ा ही नहीं बल्कि उनके नाम पता और रिश्ते का पूरा ब्यौरा भी देना होगा। इस कदम का उद्देश्य किडनी रैकेट जैसी घटनाओं और अंग प्रत्यारोपण में अनियमितताओं को रोकना है।

रणविजय सिंह, नई दिल्ली। प्रत्यारोपण को लिए किडनी की खरीद फरोख्त की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। इसके मद्देनजर राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) ने सभी राज्यों के स्वास्थ्य विभाग और अंगदान व अंग प्रत्यारोपण के लिए पंजीकृत अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे डोनर व मरीज का सिर्फ आंकड़ा ही नहीं बल्कि उनके नाम पता सहित पूरा ब्यौरा भी दें।
जिससे अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम में पारदर्शिता बनी रहे। इसका मकसद निगरानी सख्त कर किडनी रैकेट जैसी घटनाओं व अंग प्रत्यारोपण में अनियमितताओं को रोकना है।
नोटो के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने कही ये बात
किडनी व लिवर दो ऐसे अंग हैं जिसे कोई व्यक्ति अपने नजदीकी प्रियजन को प्रत्यारोपण के लिए दान कर सकते हैं। नोटो के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि अभी जीवित डोनर प्रत्यारोपण के मामले में अस्पताल मरीज और डोनर की पूरी जानकारी दर्ज नहीं करते।
अस्पताल नोटो की राष्ट्रीय रजिस्ट्री में सिर्फ मरीज और डोनर की संख्या की रिपोर्ट भेज देते हैं। उनके नाम, पता, उनकी बीच किस तरह की रिश्तेदारी है यह रिपोर्ट नहीं भेजते हैं। मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम के अनुसार अस्पतालों को मरीज और डोनर का पूरा ब्यौरा दर्ज कर रिकार्ड रखना होता है और इसका रिपोर्ट नोटो को भेजने का प्रावधान है।
डोनर व मरीज का पूरा ब्यौरा नहीं होने से निगरानी मेंं दिक्कत
डोनर व मरीज का पूरा ब्यौरा उपलब्ध नहीं होने से निगरानी मेंं दिक्कत आती है। इसलिए डोनर व मरीज के नाम, पता और उसके राष्ट्रीयता की जानकारी का डाटा होना जरूरी है। डाटा उपलब्ध होने पर यदि उसमें किसी तरह की अनियमितता की संभावना हो तो संबंधित एजेंसियों को सतर्क किया जा सकता है और कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है।
फोटो, इंटरनेट
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष सामने आए जयपुर किडनी रैकेट में नोटो ने ही सतर्कता एजेंसी को अलर्ट किया था। क्योंकि जीवित डोनर के किडनी दान से हुए 113 प्रत्यारोपण में 91 प्रतिशत मरीज विदेशी होने की सूचना मिली थी।
पूरी जानकारी प्रत्यारोपण के 48 घंटे में देना जरूरी
इसी तरह यदि किसी अस्पताल में दूर के रिश्तेदारों द्वारा दान की गई किडनी व लिवर से प्रत्यारोपण अधिक होता है तो यह भी अनियमितता के तरफ इशारा करने वाला हो सकता है। यही वजह है कि अस्पतालों को मरीज और डोनर का नाम, पता, वे भारतीय हैं या विदेशी, उनके बीच क्या संबंध है यह पूरी जानकारी प्रत्यारोपण के 48 घंटे में देना अनिवार्य है।
नोटो ने सभी राज्यों के स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त राज्य सक्षम प्राधिकारी (एसएए) से कहा है कि मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत एसएए के पास सिविल कोर्ट का अधिकार है। इसलिए एसएए को निर्देश दिया है कि वे अस्पतालों से नियमों के अनुसार मरीजों व डोजर की जानकारी उपलब्ध कराएं। साथ ही एसएए सत्यापित डाटा भी नोटो को भेजे।
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