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    किसी भाषा को ट्रांसलेट कर सकता है ये यंत्र, नोएडा के छात्र का चमत्कारिक अविष्कार

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Sun, 30 Sep 2018 04:50 PM (IST)

    एक-दूसरे देश के बीच भाषा के गैप को पाटेगा लकड़ी से बना यह छोटा सा यंत्र। रेस्टोरेंट में खाना खाते वक्त छात्र के दिमाग में आया आइडिया और कर डाला ये अविष्कार।

    किसी भाषा को ट्रांसलेट कर सकता है ये यंत्र, नोएडा के छात्र का चमत्कारिक अविष्कार

    नोएडा (चंद्रशेखर)। भाषा किसी भी देश और समाज की पहचान होती है। यह एक-दूसरे के विचारों के आदान-प्रदान में अहम भूमिका निभाती है। दिक्कत तब आती है, जब एक व्यक्ति दूसरे की भाषा को नहीं समझ पाता। खासतौर पर ये परेशानी विदेशी सैलानियों को एक-दूसरे के देशों में आती है।

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    इस दिक्कत को दूर करने की पहल हर्षित गोयल ने की है। उन्होंने बिजली की रोशनी से काम करने वाला एक ऐसा यंत्र बनाया है, जिसकी मदद से लोगों को एक-दूसरे की भाषा को समझने में मदद मिलेगी।

    हर्षित सेक्टर-62 स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में इंटीरियर एंड प्रोडक्ट डिजाइन के अंतिम वर्ष के छात्र हैं। उन्होंने बताया कि उनके दिमाग में यह विचार एक होटल में खाना खाने के दौरान आया। यह एक कोरियन रेस्त्रां था। इसमें अधिकतर जगहों पर कोरियन भाषा में लिखा हुआ था। इसको देखते हुए उनको ख्याल आया कि क्यों न ऐसा किया जाए कि दो भाषाओं के बीच का गैप खत्म हो।

    इसके बाद उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया और सामने आया यह ट्रांसलाइट। उन्होंने बताया कि इसका इस्तेमाल करने के लिए इसके प्लग को सॉकेट में लगाना होता है। इसके बाद यंत्र के अंदर लगाई गई एलईडी लाइट जल जाती है। यह रोशनी ट्रांसलाइट के सामने स्ट्रीप पर लिखी हुई किसी भी भाषा को यंत्र के दूसरी तरफ लगाये गए दूसरी स्ट्रीप पर लिखी हुई दूसरी भाषा में बदल देता है।

    इससे यंत्र के पीछे दीवार पर हिंदी, उर्दु, अंग्रेजी या अन्य किसी भाषा में रोशनी से लिखा हुआ दिख जाता है। इन स्ट्रीप को अपनी भाषा के अनुसार बदला जा सकता है। हर्षित बताते हैं कि इसमे किसी तरह का जटिल साइंस या कलपुर्जे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। बस विचार आया और बना डाला।

    सार्वजनिक स्थानों पर हो सकता है इस्तेमाल

    विदेशी सैलानियों को खासतौर पर सार्वजनिक जगहों पर भाषा की वजह से काफी दिक्कत आती है। भारत आने वाले बहुत से सैलानी अंग्रेजी भी नहीं जानते। इन जैसे लोगों के लिए ट्रांसलाइट काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इसे थोड़ा अधिक अपडेट करके इसका इस्तेमाल हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, होटल आदि जगहों पर किया जा सकता है।

    लकड़ी का बना है ट्रांसलाइट

    हर्षित ने बताया कि ट्रांसलाइट पूरी तरह से लकड़ी का बना हुआ है। इसमें देवदार की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, इसके स्ट्रीप पीवीसी सीट्स से तैयार किये गए हैं। इसमें किसी भी तरह के पॉलीथीन इत्यादि का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। वहीं, इसके अंदर रोशनी के लिए सामान्य एलईडी लाइट लगाई गई है।