नोटबंदी के समर्थन में व्यापारी, दिल्ली के बाजारों में नहीं दिखा भारत बंद का असर
नोटबंदी को लेकर विपक्ष के भारत बंद का असर दिल्ली के बाजारों में देखने को नहीं मिला। दुकानें खुली नजर आईं और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर भी कोई असर नहीं पड़ा।
नई दिल्ली [जेएनएन]। नोटबंदी को लेकर छिड़ा सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है। सियासी लड़ाई संसद से सड़क तक पहुंच चुकी है। वाम दलों व अन्य सियासी पार्टियों द्वारा नोटबंदी के खिलाफ आयोजित बंद का असर राजधानी दिल्ली में नजर नहीं आया।
राजधानी दिल्ली में बंद का एलान बेअसर दिखा। दिल्ली के अधिकतर बाजार खुले नजर आए। सिर्फ वही बाजार बंद दिखे, जहां सोमवार को साप्ताहिक अवकाश होता है। राजधानी में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था भी आम दिनों की तरह ही नजर आई और सोमवार सुबह लोगों को किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा।
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कालेधन वालों को हो रही है परेशानी
बता दें कि बंद को लेकर कारोबारी संगठन पहले से ही घोषणा कर चुके थे कि वे अपने-अपने इलाकों के बाजार खुले रखेंगे। उनका कहना था कि केंद्र सरकार की नोटबंदी से उनके कारोबार में मंदी जरूर आई है, लेकिन देश के भविष्य के लिए नोटबंदी जरूरी है।
व्यापारियों का मानना है कि नोटबंदी की वजह से कालेधन वालों को परेशानी है, जबकि कारोबारी न तो हताश हैं और न ही परेशान। पुरानी दिल्ली में बंद का कोई असर नजर नहीं आया। दिन चढ़ते-चढ़ते दुकानें खुल गईं।
तस्वीर: बंद बेअसर, खुली दुकान
खुले बाजार
जानकारी के मुताबिक कनॉट प्लेस, एस एन मार्केट, खान मार्केट, आईएनए के अलावा पुरानी दिल्ली के लाजपत राय मार्केट, भागीरथ पैलेस, नई सड़क, बल्ली मारान, फतेहपुरी, कश्मीरी गेट, नया बाजार, जामा मस्जिद, चितली कबर में भी सुबह के वक्त बाजार खुले।
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परिवहन व्यवस्था पर बंद बेअसर
राजधानी की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर भी बंद का कोई असर नजर नहीं आया। दिल्ली की 'आप' सरकार नोटबंदी का विरोध तो कर रही है, लेकिन उसने बंद का समर्थन नहीं किया है। इसी के चलते डीटीसी की बसें और ऑटो-टैक्सी सड़कों पर दिखीं।
तस्वीर: बंद बेअसर, खुले बाजार
बंद से अलग 'आप' ट्रेड विंग
'आप' की ट्रेड विंग ने इस बंद से अपने को अलग रखा है। राजधानी में नोटबंदी के विरोध में कुछ सियासी पार्टियों ने जन आक्रोश दिवस मनाने का फैसला लिया है। प्रदेश कांग्रेस ने इस अवसर पर मंडी हाउस में रैली निकालने का निर्णय लिया है।
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