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Nizamuddin Corona cases: जनता कर्फ्य से फंस गए थे मकरज में 1000 से अधिक लोग, प्रबंधन ने दी सफाई

Nizamuddin Corona cases जनता कर्फ्यू का पालन करते हुए उसी दिन मरकज को बंद कर दिया गया। इससे एक हजार लोग घरों को नहीं जा पाए।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 08:49 AM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 08:51 AM (IST)
Nizamuddin Corona cases: जनता कर्फ्य से फंस गए थे मकरज में 1000 से अधिक लोग, प्रबंधन ने दी सफाई
Nizamuddin Corona cases: जनता कर्फ्य से फंस गए थे मकरज में 1000 से अधिक लोग, प्रबंधन ने दी सफाई

नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। Nizamuddin Corona cases : कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले मिलने के बाद चौतरफा घिरे हजरत निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मरकज के प्रबंधन ने अपना बचाव किया है। मरकज की तरफ से जारी बयान में दावा किया गया है कि लॉकडाउन की वजह से ये लोग मरकज में फंस गए थे, जिन्हें निकाले जाने को लेकर पुलिस-प्रशासन से मदद मांगी गई थी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली।

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इस बाबत मरकज की ओर से मंगलवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई, जिसमें कहा गया है कि यहां देश और विदेश से लोग लगातार आते रहते हैं। मरकज में लोग दो दिन, पांच दिन या 40 दिन के लिए आते हैं। इसी में रहते है, यहीं से तब्लीगी जमात देश और विदेशों की मस्जिदों में जाती हैं। जनता कर्फ्यू का जब एलान हुआ उस वक्त बड़ी संख्या में लोग मरकज में रह रहे थे, जनता कर्फ्यू का पालन करते हुए उसी दिन मरकज को बंद कर दिया गया। इससे एक हजार लोग घरों को नहीं जा पाए। 24 मार्च को निजामुद्दीन के थानाध्यक्ष को मरकज से मदद के लिए पत्र दिया था।

आरोप है कि इसके बाद पुलिस ने मरकज को धारा 144 के उल्लंघन का नोटिस दे दिया। इसका जवाब देते हुए मरकज में ठहरे लोगों की पूरी जानकारी पुलिस को दी गई थी। साथ ही 17 वाहनों के लिए एसडीएम से पास मांगे गए थे, ताकि लोगों को उनके घरों तक भेजा जा सके, लेकिन पास जारी नहीं किए गए।

25 मार्च को तहसीलदार और एक मेडिकल टीम मरकज पहुंची और लोगों के स्वास्थ्य की जांच की। 26 को मरकज से जुड़े लोगों को जिलाधिकारी कार्यालय में बुलाया गया, पूरी बात बताई गई। 27 मार्च को मरकज रुके हुए छह लोगों की तबीयत खराब होने लगी, उन्हें मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया। अगले दिन एसडीएम और विश्व स्वास्थ्य संगठन टीम टीम मरकज पहुंची और 33 लोगों की जांच की गई। मरकज से जुड़े लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री मुकदमा दर्ज किए जाने का आदेश देने से पहले हकीकत का पता करना चाहिए था। 


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