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Nirbhaya Case: फांसी टालने के खिलाफ केंद्र गया हाई कोर्ट, आज होगी मामले की अहम सुनवाई

तिहाड़ जेल प्रशासन द्वारा निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट सुनवाई हुई जिसमें केंद्र ने मांग की है कि सभी को अलग अलग फांसी दे देनी चाहिए।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 04:38 PM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 11:22 AM (IST)
Nirbhaya Case: फांसी टालने के खिलाफ केंद्र गया हाई कोर्ट, आज होगी मामले की अहम सुनवाई
Nirbhaya Case: फांसी टालने के खिलाफ केंद्र गया हाई कोर्ट, आज होगी मामले की अहम सुनवाई

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। निर्भया के गुनहगारों की फांसी पर रोक लगाने के पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार ने शनिवार को हाई कोर्ट में अपील की। अति आवश्यक सुनवाई के लिए दायर इस याचिका पर अदालत कासमय पूरा होने के बावजूद पांच बजे सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति सुरेश कैथ ने चारों दोषियों, महानिदेशक तिहाड़ और जेल प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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रविवार को भी मामले की सुनवाई होगी। सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि शुक्रवार को दोषियों मुकेश कुमार, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ¨सह की फांसी पर रोक लगा दी गई। इसके लिए लगाई अर्जी में कोई भी ठोस कारण नहीं दिया गया था। दोषियों ने कानून का गलत इस्तेमाल किया है। वे आनंद की सवारी के लिए कानून प्रक्रिया का इस्तेमाल रहे हैं। ऐसे हथकंडे अपना रहे हैं कि किसी भी तरह यह जघन्य अपराध अप्रभावित हो जाए।ऐसे तो कभी समाप्त नहीं होगा मामला मेहता ने कहा कि यह मामला इतिहास में एक के बाद एक जघन्य अपराधों के रूप में सामने आएगा, जहां अपराधियों ने कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है।

दुर्भाग्य से सभी कानूनी उपाय समाप्त होने के बाद वे फांसी टालने के लिए कई आवेदन कर रहे हैं। ऐसे तो यह मामला कभी समाप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि दोषियों को अलग-अलग फांसी भी दी जा सकती है। जब एक व्यक्ति को पता चल जाए कि उसकी किस्मत में मौत की सजा है तो ऐसा करने में देरी करना अमानवीय है। उन्होंने कहा कि दोषी अदालत से गुहार लगा रहे हैं कि मानव जीवन अमूल्य है, लेकिन पीडि़त का भी तो जीवन होता है।

अधिकार क्षेत्र से परे जाकर निचली अदालत ने किया फैसला

केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने फांसी के वारंट को टालने में अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर फैसला किया। अदालत ने यह विचार नहीं किया कि दोषियों को एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के जघन्य अपराध का दोषी पाया गया है। तीन माह में दूसरा मौका जब छुट्टी में लगेगी अदालत तीन माह में दूसरा मौका है जब छुट्टी के दिन रविवार को हाई कोर्ट में कोई मामला सुना जाएगा।

इससे पहले पिछले साल 2 नवंबर को तीस हजारी अदालत में वकीलों और पुलिस के बीच हुए बवाल के बाद अगले दिन रविवार को हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की थी। अब निर्भया मामले में केंद्र की याचिका को भी रविवार को अपराह्न तीन बजे सुना जाएगा।

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