मुख्य सचिव से पूछा- वजीराबाद-जगतपुर में सफाई की जिम्मेदारी किसकी ? यमुना घाटों की सफाई पर NGT का कड़ा रुख
यमुना घाटों पर गंदगी को लेकर एनजीटी ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। विभिन्न एजेंसियों द्वारा जिम्मेदारी से बचने पर एनजीटी ने नाराजगी जताई। मुख्य सचिव को सभी एजेंसियों के साथ बैठक कर सफाई की जिम्मेदारी तय करने का आदेश दिया गया है। अगली सुनवाई से पहले कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। वजीराबाद व जगतपुर गांव स्थित यमुना घाट के किनारे पड़ी गंदगी व कूड़े को लेकर विभिन्न एजेंसियोें द्वारा एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है।
एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने मुख्य सचिव को सभी एजेंसियों के साथ बैठक कर यह तय करने का आदेश दिया है कि सफाई की जिम्मेदारी किस एजेंसी की है।
एनजीटी ने मुख्य सचिव को अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई छह अक्टूबर को होगी।
एनजीटी ने उक्त आदेश दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) सहित अन्य एजेंसी की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद दिया।
एमसीडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जिस एजेंसी के पास भूमि का स्वामित्व है, वही इसकी सफाई के लिए जिम्मेदार है। वही, डीडीए ने कहा कि उक्त भूमि का स्वामित्व उसके पास नहीं है।
डीपीसीसी ने कहा कि वजीराबाद व जगतपुर के पुस्ता रोड व घाट ओ-जोन में आते हैं और इसका क्षेत्राधिकार डीडीए का है। वहीं, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग (आइएफसीडी) ने अपने जवाब में कहा कि उक्त स्ट्रेच जिला प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
आवेदनकर्ता मनीष जैन ने अपने आवेदन में कहा कि यमुना घाट की सफाई नहीं हो रही है और घाट किनारे कूड़ा डाला जा रहा है। आवेदन में आरोप लगाया कि इस संबंध में विभिन्न एजेंसियों को शिकायत दी गई, लेकिन एजेंसियां एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रही हैं और जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
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