डीडीए बताए, क्या जल निकाय की कोई जमीन डीटीसी को दी गई या नहीं: एनजीटी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने डीडीए को नजफगढ़ में जल निकाय की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। आरोप है कि डीटीसी ने जल निकाय की भूमि पर बस अड्डा बना दिया है। भूमि के स्वामित्व को लेकर विवाद है जिसमें डीडीए डीटीसी और ग्राम सभा अपने-अपने दावे कर रहे हैं। अब इस जलाशय की देखरेख एमसीडी की जिम्मेदारी है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नजफगढ़ में जल निकाय की भूमि पर अतिक्रमण कर दिल्ली परिवहन निगम द्वारा बहुमंजिला बस अड्डा बनाने का आरोप लगाने वाले आवेदन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने डीडीए को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।
एनजीटी चेयरमैन प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने उक्त आदेश तब दिया जब दक्षिण-पश्चिम दिल्ली ने अपने हलफनामा में कहा कि यह सारी जमीन ग्राम सभा की जल निकाय है। वहीं, डीटीसी ने दावा किया कि डीडीए ने 1998 में यह जमीन उन्हें बस अड्डा बनाने के लिए दी थी।
डीडीए ने भी कहा कि जमीन 1963 में अर्बनाइज घोषित हुई थी और 1974 में डीडीए को सौंपी गई थी। 1981 में यह जमीन डीडीए के उद्यान विभाग को दे दी गई थी।
उक्त तथ्यों को देखते हुए एनजीटी ने डीडीए को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट जानकारी देने को कहा। एनजीटी ने पूछा कि क्या इस जल निकाय की कोई भूमि डीटीसी को दी गई थी या नहीं। एनजीटी ने रिकार्ड पर लिया था कि
जिला मजिस्ट्रेट ने चार अगस्त और 10 अगस्त के हलफनामों में फिर दोहराया था कि संबंधित भूमि वास्तव में जल निकाय के हैं। एनजीटी ने यह भी पाया कि डीडीए द्वारा दाखिल तीन जुलाई 2025 के हलफनामा के अनुसार 31 मई 2016 को यह जल निकाय (1.36 एकड़) और आसपास के कई छोटे पार्क दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को सौंप दिए गए थे। इसलिए, अब इस जलाशय की देखरेख व संरक्षण की जिम्मेदारी एमसीडी की है।
एनजीटी आवेदनकर्ता करतार सिंह के आवेदक पर सुनवाई कर रहा है। इसमें आरोप लगाया है कि नजफगढ़ गांव के कुल 30 बीघा जमीन, जो असल में जलाशय (जोहर) है, उस पर डीटीसी ने कब्जा कर वहां बस अड्डा व बहुमंज़िला व्यावसायिक इमारत बना दी है।
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