दिल्ली में अपराध जांच होगी तेज, CM रेखा गुप्ता ने नई मोबाइल फॉरेंसिक वैन को दिखाई हरी झंडी
दिल्ली को छह नई चलती-फिरती फॉरेंसिक प्रयोगशालाएं मिली हैं जिससे अपराध की जांच में तेजी आएगी। मुख्यमंत्री ने इन मोबाइल फॉरेंसिक साइंस लैब वैन को हरी झंडी दिखाई। ये वैन अपराध स्थल पर ही प्राथमिक विश्लेषण की अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। विशेषज्ञ टीम मौके पर पहुंचकर वैज्ञानिक तरीकों से सबूत जुटा सकेगी जिससे आपराधिक न्याय प्रणाली और मजबूत होगी।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली को छह नई चलती-फिरती फारेंसिक प्रयोगशाला मिल गई हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली सचिवालय में इन माेबाइल फोरेंसिक साइंस लैब वैन को हरी झंडी दिखाई। सीएम ने कहा है कि इनकी शुरुआत होने से दिल्ली में न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और गति दोनों आएंगी। इस मौके पर दिल्ली के गृह मंत्री आशीष सूद भी मौजूद थे।
बता दें कि दिल्ली सरकार के फारेंसिक विभाग के मुख्यालय स्तर पर रोहणी में दो प्रयाेगशाला वैन उपलब्ध थीं।विभाग द्वारा हर जिला स्तर पर फारेंसिक अधिकारी 24 घंटे तैनात रहते हैं जो पुलिस टीम के साथ घटना स्थल पर पहुंचते हैं। शुक्रवार को शुरू की गईं इन छह प्रयाेगशाला वैन को दिल्ली पुलिस के हिसाब से बनाए बनाए छह क्षेत्रीय कार्यालय के आधार पर तैनात किया जाएगा। ये प्रयाेगशाला वैन अपराध के बड़े मामलों में जांच करने पहुंचेंगी। इसके पहले अभी तक बड़ी घटनाओं पर मुख्यालय से प्रयाेगशाला वैन बुलाई जाती थीं। मगर अब रेंज कार्यालय पर वैन उपपलब्ध करेंगी।
तेज, पारदर्शी और भरोसेमंद सेवाएं देने के लिए निरंतर कार्यरत
मुख्यमंत्री गुप्ता ने इस माैके पर कहा कि हमारी सरकार टेक्नोलॉजी के माध्यम से जनता को तेज, पारदर्शी और भरोसेमंद सेवाएं देने के लिए निरंतर कार्यरत है। उन्होंने बताया कि ये मोबाइल फोरेंसिक वैन एक चलती-फिरती प्रयोगशाला की तरह हैं, जिनमें अपराध स्थल पर ही प्राथमिक विश्लेषण की अत्याधुनिक तकनीकें उपलब्ध हैं।
इन वैनों से विशेषज्ञों की टीम हत्या, चोरी, धोखाधड़ी, साइबर अपराध सहित अन्य गंभीर मामलों में तत्काल मौके पर पहुंचकर वैज्ञानिक तरीकों से सबूत जुटा सकेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि यह पहल दिल्ली की आपराधिक न्याय प्रणाली को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से और अधिक मज़बूत, सटीक और प्रभावी बनाएगी।
वीडियोग्राफी जैसे दस्तावेजीकरण के चरण शामिल
मुख्यमंत्री ने कहा कि अपराध स्थल पर फोरेंसिक टीम एक तय प्रक्रिया के तहत कार्य करती है, जिसमें सबसे पहले स्थल की घेराबंदी, फिर फोटोग्राफी, स्केच और वीडियोग्राफी जैसे दस्तावेजीकरण के चरण शामिल होते हैं। इसके बाद डीएनए, रक्त और डिजिटल डेटा जैसे साक्ष्य एकत्र कर उनका प्रारंभिक परीक्षण किया जाता है। अंत में न्यायालय में प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट तैयार की जाती है। उन्होंने कहा कि इन प्रक्रियाओं में तेजी लाने और समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आज यह फारेंसिक वैन लांच की गई है।
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